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ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएँगे

पयाम सैहालवी

ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएँगे

पयाम सैहालवी

MORE BYपयाम सैहालवी

    ताजदार-ए-हरम हो निगाह-ए-करम हम ग़रीबों के दिन भी सँवर जाएँगे

    हादी-ए-बे-कसाँ क्या कहेगा जहाँ आप के दर से ख़ाली अगर जाएँगे

    ख़ौफ़-ए-तूफ़ाँ कहीं बिजलियों का है ग़म सख़्त मुश्किल है आक़ा कहाँ जाएँ हम

    आप भी गर लेंगे हमारी ख़बर हम मुसीबत के मारे किधर जाएँगे

    दर पे साक़ी-ए-कौसर के पीने चलो मय-कशो आओ-आओ मदीने चलो

    याद रक्खो अगर उठ गई वो नज़र जितने ख़ाली हैं सब जाम भर जाएँगे

    कोई अपना नहीं ग़म के मारे हैं हम आप के दर पे फ़रियाद लाएँ हैं हम

    हो निगाह-ए-करम वर्ना चौखट पे हम आप का नाम ले-ले के मर जाएँगे

    आप के दर से कोई ख़ाली गया अपने दामन को भर के सवाली गया

    हो ‘पयाम’-ए-हज़ीं पर भी आक़ा करम वर्ना औराक़-ए-हस्ती बिखर जाएँगे

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    आतिफ असलम

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