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रहमत-ए-किब्रिया ताजदार-ए-हरम इस तरफ़ भी निगाह-ए-करम कीजिए

अयाज़ वारसी

रहमत-ए-किब्रिया ताजदार-ए-हरम इस तरफ़ भी निगाह-ए-करम कीजिए

अयाज़ वारसी

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    रहमत-ए-किब्रिया ताजदार-ए-हरम इस तरफ़ भी निगाह-ए-करम कीजिए

    अशरफ़-ए-अम्बिया फ़ख़्र-ए-कौन-ओ-मकाँ मेरी बिगड़ी हुई को बना दीजिए

    हबीब-ए-ख़ुदा नूर-ए-रब्बुल-उ'ला फ़र्श से अ’र्श तक आप की है ज़िया

    ज़ुल्मतों को तजल्ली बना दीजिए दिल की दुनिया मेरी जगमगा दीजिए

    इक ग़ुलाम-ए-ग़ुलामान-ए-हसनैन हूँ ख़ता-कार हूँ मैं गुनाहगार हूँ

    मेरी लाज-ओ-शरम आप के हाथ है अपनी कमली में मुझ को छुपा लीजिए

    वारिस-ए-दो-जहाँ का तसद्दुक़ मिले मालिक-ए-इंस-ओ-जाँ का तसद्दुक़ मिले

    आज ख़ैरुन्निसा का तसद्दुक़ मिले मैं भिकारी हूँ सदक़ा अ’ता कीजिए

    सिदरत-उल-मुंतहा से भी आगे गए और मक़ाम-ए-दना का नज़ारा किया

    रब्ब-ए-सल्लिमअ’ला रसूल-ए-ख़ूदा या-मोहम्मद हमारी ख़बर लीजिए

    कश्ती-ए-दिल है और ग़म का तूफ़ान है बस ख़ुदा ही हमारा निगहबान है

    रहमतों के सहारे पे है आसरा पार बेड़ा हमारा लगा दीजिए

    ख़ातिम-ए-अम्बिया शाह-ए-जिन्न-ओ-बशर शफ़ी-ए’-उमम हादी-ए-दूसरा

    है 'अयाज़'-ए-कमीना ग़ुलाम आप का अपने क़दमों में आक़ा बुला लीजिये

    स्रोत :
    • पुस्तक : तज़किरा शोरा-ए-वारसिया (पृष्ठ 205)
    • प्रकाशन : फाइन बुकस प्रिंटर्स (1993)
    • संस्करण : First

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