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Sufinama

करो मुश्किलें मेरी हल ग़ौस-ए-आ'ज़म

सज्जाद हुसैन क़ादरी

करो मुश्किलें मेरी हल ग़ौस-ए-आ'ज़म

सज्जाद हुसैन क़ादरी

MORE BYसज्जाद हुसैन क़ादरी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان غوث پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)

    करो मुश्किलें मेरी हल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिले बे-क़रारी को कल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    बचा लो मुझे बहर हसनैन आक़ा

    सफ़ीना है सू-ए-ख़लल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ब-जुज़ तेरी निस्बत के कुछ भी नहीं है

    मिरे पास हुस्न-ए-'अमल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तुम्हारे करम पर भरोसा है वर्ना

    बुरे हैं मिरे सब 'अमल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ख़ुदा से सर-ए-हश्र बख़्शाना मुझ को

    है तुम से उमीद-ओ-अमल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिरे गुलशन-ए-ज़िंदगी में ब-हर-सू

    खिलाओ ख़ुशी के कँवल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    तिरे नूर-ए-'इरफ़ाँ से ज़ंग-ओ-स्याही

    मिरे दिल से जाए निकल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    ज़माने में लाखों वली आए लेकिन

    तिरी शान ज़र्बुल-मसल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    वो दरबार तेरा जहाँ सर झुकाएँ

    सलातीन-ओ-अहल-ए-दवल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    है फ़रमान जब ला-तख़फ़ तो हो क्यूँ कर

    मुरीदों को ख़ौफ़-ए-अजल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    मिरी रूह पे रहमतें होंगी क़ुर्बां

    जो जाएँ वक़्त-ए-अजल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    जो लम्हा तिरी याद में गुज़रे बस है

    वही 'उम्र का मा-हसल ग़ौस-ए-आ'ज़म

    करम कीजिए अपने 'सज्जाद' पर भी

    परेशाँ है ये आज-कल ग़ौस-ए-आ'ज़म

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