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वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैं

सज्जाद हुसैन क़ादरी

वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैं

सज्जाद हुसैन क़ादरी

MORE BYसज्जाद हुसैन क़ादरी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان غوثِ پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)

    वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    वो जिन के नाम से बिगड़ी बनी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    जमाल-ए-हक़ के हैं मज़हर नबी के ख़ुल्क़ के पैकर

    निशान-ए-फ़ातिमा जान-ए-'अली सरकार-ए-जीलाँ हैं

    सरापा ताबे'-ए-सुन्नत 'अमल तफ़्सीर-ए-क़ुरआँ की

    शरअ' को ज़िंदगी जिन से मिली सरकार-ए-जीलाँ हैं

    निगाह फ़ैज़ से क़िस्मत हज़ारों की बदल डाली

    ख़ुदा-ए-पाक के ऐसे वली सरकार-ए-जीलाँ हैं

    अँधेरों के भँवर से दूर अपनी कश्ती कर देंगे

    हमारी आस जिन से है लगी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    हुकूमत 'आम है जिन्न-ओ-बशर पर जिन की दुनिया में

    मिलेगा हश्र में रुत्बा यही सरकार-ए-जीलाँ हैं

    करम कर दें वो जिस पर बेड़ा उस का पार हो जाए

    करूँ क्यूँ फ़िक्र अपने जुर्म की सरकार-ए-जीलाँ हैं

    अगर है नाज़ दुनिया को 'उलू-ए-शान पर अपनी

    मुझे भी फ़ख़्र है मेरे वसी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    मुजीबी ख़ानक़ाह रूहानियत का क़िला' है जिस की

    'इमारत का सुतून-ए-मर्कज़ी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    शराब-ए-आयती की बे-ख़ुदी पूछे कोई हम से

    ख़ुमार-ओ-रंग और उस की नमी सरकार-ए-जीलाँ हैं

    रज़ा-ए-नफ़्स का तालिब हो सज्जाद तुम हरगिज़

    मुजीबी मय-कदा में क्या कमी सरकार-ए-जीलाँ हैं

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