वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैं
रोचक तथ्य
منقبت درشان غوثِ پاک شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد-عراق)
वो जिन की याद में महफ़िल सजी सरकार-ए-जीलाँ हैं
वो जिन के नाम से बिगड़ी बनी सरकार-ए-जीलाँ हैं
जमाल-ए-हक़ के हैं मज़हर नबी के ख़ुल्क़ के पैकर
निशान-ए-फ़ातिमा जान-ए-'अली सरकार-ए-जीलाँ हैं
सरापा ताबे'-ए-सुन्नत 'अमल तफ़्सीर-ए-क़ुरआँ की
शरअ' को ज़िंदगी जिन से मिली सरकार-ए-जीलाँ हैं
निगाह फ़ैज़ से क़िस्मत हज़ारों की बदल डाली
ख़ुदा-ए-पाक के ऐसे वली सरकार-ए-जीलाँ हैं
अँधेरों के भँवर से दूर अपनी कश्ती कर देंगे
हमारी आस जिन से है लगी सरकार-ए-जीलाँ हैं
हुकूमत 'आम है जिन्न-ओ-बशर पर जिन की दुनिया में
मिलेगा हश्र में रुत्बा यही सरकार-ए-जीलाँ हैं
करम कर दें वो जिस पर बेड़ा उस का पार हो जाए
करूँ क्यूँ फ़िक्र अपने जुर्म की सरकार-ए-जीलाँ हैं
अगर है नाज़ दुनिया को 'उलू-ए-शान पर अपनी
मुझे भी फ़ख़्र है मेरे वसी सरकार-ए-जीलाँ हैं
मुजीबी ख़ानक़ाह रूहानियत का क़िला' है जिस की
'इमारत का सुतून-ए-मर्कज़ी सरकार-ए-जीलाँ हैं
शराब-ए-आयती की बे-ख़ुदी पूछे कोई हम से
ख़ुमार-ओ-रंग और उस की नमी सरकार-ए-जीलाँ हैं
रज़ा-ए-नफ़्स का तालिब न हो सज्जाद तुम हरगिज़
मुजीबी मय-कदा में क्या कमी सरकार-ए-जीलाँ हैं
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