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ना'त से उस शाह की 'आजिज़ मिरी तक़रीर है

शाह अब्दुल क़ादिर बदायूँनी

ना'त से उस शाह की 'आजिज़ मिरी तक़रीर है

शाह अब्दुल क़ादिर बदायूँनी

MORE BYशाह अब्दुल क़ादिर बदायूँनी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشانِ اہلِ بیت کرام۔

    ना'त से उस शाह की 'आजिज़ मिरी तक़रीर है

    जा-बजा जिस की सिफ़त क़ुरआँ में ख़ुद तहरीर है

    हर नबी का हुक्म उन की क़ौम पर मख़्सूस था

    रहमत-ए-'आलम का हुक्म-ए-’आम ’आलम-गीर है

    हर किताब-ए-आसमानी है मुबश्शिर आप की

    हर नबी से ख़ैर-मक़्दम की हुई तबशीर है

    साहब-ए-क़ौसैन हैं और ताजदार-ए-मा रमीत

    उन की मुश्त-ए-ख़ाक से शर्मिंदा तेग़-ओ-तीर है

    है नुबुव्वत आप की सब अंबिया से पेशतर

    हिकमत-ए-हक़ से हुई इज़हार में ताख़ीर है

    आप से सू-ए-अदब से सब 'अमल होते हैं हब्त

    आया-ए-ला-तज्हरू में हक़ ने की तहज़ीर है

    ना’त-ए-शाह-ए-दीं में आना मदह-ए-अहल-ए-बैत का

    अहल-ए-हक़ के हक़ में लज़्ज़त-बख़्श क़ंद-ओ-शीर है

    क्या लिखे तौसीफ़ बंदा अहल-ए-बैत-ए-पाक की

    शान में जिन की कि नाज़िल आया-ए-ततहीर है

    होगी जब जन्नत को जाएँगी जनाब-ए-सय्यदा

    बंद चश्म-ए-अहल-ए-महशर वाह क्या तौक़ीर है

    बिज़’अत मिन्नी है फ़रमाया रसूलुल्लाह ने

    जुज़ को ग़ैर कल समझना वहम की तज़्वीर है

    ला फ़ता इल्ला 'अली ला सैफ़ इल्ला जुल्फ़िक़ार

    वो ख़ुदा का शेर-ओ-शाह-ए-दीं की ये शमशीर है

    शहर-ए-'इल्म-ए-दीं नबी हैं बाब हैं मौला 'अली

    मुसहफ़-ए-नातिक़ हैं हर हर बात पर तासीर है

    है कमाल-ए-ज़ाहिर-ए-ईमाँ का अगलों से ज़ुहूर

    मुल्क-ए-बातिन पर 'अली का क़ब्ज़ा-ए-तस्ख़ीर है

    कुहल-ए-चश्म-ए-औलिया है ख़ाक-पा-ए-बू-तुराब

    आस्ताँ का उन की हर ज़र्रा ब-अज़ इक्सीर है

    सीरत-ए-सिबतैन है सीरत रसूलुल्लाह की

    उन की सूरत भी रसूलुल्लाह की तस्वीर है

    दोनों सुल्तान-ए-जवानान-ए-जिनाँ हैं बे-गुमाँ

    उन का 'आशिक़ जान-ओ-दिल से हर जवान-ओ-पीर है

    है ख़ता ख़ुश्बू को उन की गर लिखूँ मुश्क-ए-ख़ुतन

    उस में रैहान-ए-नबी की सर-ब-सर तहक़ीर है

    दोश-ए-अहसन पर रसूलुल्लाह के हसन-ओ-हुसैन

    जल्वा-ए-नूरुन 'अला नूरिन की इक तनवीर है

    राकिब-ए-दोश-ए-नबी का आह सर नेज़े पे हो

    वाह वा सरदारि-ए-जन्नत की क्या तदबीर है

    देखो शान-ए-किब्रिया तीरों का बाराँ है उधर

    और इधर अल्लाहु-अकबर ना'रा-ए-तकबीर है

    राह-ए-हक़ में कर दिया सज्दे में क़ुर्बां अपना सर

    ऐसी वस्जुद-वक़्तरिब की किस ने की तफ़्सीर है

    सिब्त-ए-सिबतैन-ए-नबी है ग़ौस-ए-आ'ज़म बिल-यक़ीं

    जुमला पीरान-ए-सलासिल का वो बे-शक पीर है

    है फ़दा-ए-अहल-ए-बैत-ओ-मुख़्लिस-ए-अस्हाब-ए-पाक

    क्या 'फ़क़ीर'-ए-क़ादिरी भी वाह ख़ुश-तक़दीर है

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