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जिन के भी दिल में होती है उल्फ़त ग़ौस-ए-पाक की

शारिक़ रब्बानी

जिन के भी दिल में होती है उल्फ़त ग़ौस-ए-पाक की

शारिक़ रब्बानी

MORE BYशारिक़ रब्बानी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان غوث اعظم شیخ عبدالقادر جیلانی (بغداد۔عراق)

    जिन के भी दिल में होती है उल्फ़त ग़ौस-ए-पाक की

    वो अपना लेता है हर पल सीरत ग़ौस-ए-पाक की

    फ़क़त मिरे नहीं हैं वो सब वलियों के सरदार हैं

    देखने वालों देख लो आकर रिफ़अ'त ग़ौस-ए-पाक की

    मुर्दों को ज़िंदा कर देना शान ये किस की है बतलाओ

    ख़ुदा की जानिब से दिखती है करामत ग़ौस-ए-पाक की

    क़ुरआनी इ'रफ़ानी और ईमानी रुत्बा किस का है

    जान रही है सारी दुनिया अ'ज़्मत ग़ौस-ए-पाक की

    हाथ से दामन कभी छूटे अ'र्ज़ यही है मेरी ख़ुदा से

    तर्क होने पाए मुझ से निस्बत ग़ौस-ए-पाक की

    रहमत की बरसात यक़ीनन होती है हर आन वहाँ पर

    कितनी पुर-अ'ज़्मत है लोगों तुर्बत ग़ौस-ए-पाक की

    'शारिक़' उन को ख़ौफ़ नहीं है रोज़-ए-महशर का कुछ भी

    सिद्क़-ए-दिल से करते जो हैं मिदहत ग़ौस-ए-पाक की

    स्रोत :
    • पुस्तक : अफ़कार-ए-शारिक़ (पृष्ठ 53)

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