गदा है मस्ती में गा रहा है कलाम-ए-ख़्वाजा अमीर अमीर ख़ुसरौ
गदा है मस्ती में गा रहा है कलाम-ए-ख़्वाजा अमीर अमीर ख़ुसरौ
शैख़ मुख़तार अहमद
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रोचक तथ्य
منقبت درشان حضرت امیر خسرو (دہلی-بھارت)
गदा है मस्ती में गा रहा है कलाम-ए-ख़्वाजा अमीर अमीर ख़ुसरौ
ग़ुलाम हो कर ग़ुलाम बन कर ग़ुलाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
वो जूतियाँ सर पे अपने रख के चले हैं ख़िदमत में पीर की जब
मक़ाम शाहों से भी सिवा है मक़ाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
करोगे जब नाम विर्द उन का मिलेगी राहत यक़ीन जानो
हर एक मुश्किल को हल करेगा ये नाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
’अक़ीदतें ख़ुद ही होंगी ज़ाहिर करोगे ख़िदमत जो पीर की फिर
सबक़ ये देता है हम सभी को ये गाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
दीवाना कहते हैं लोग मुझ को दीवानगी भी सिवा रहे अब
हर इक सू दे रहा है जल्वा ये जाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
सलाम मेरा भी क्यूँ न पहुँचे सलाम ही सिलसिला है मेरा
पहुँच रहा शैख़ कर्बला में सलाम-ए-ख़्वाजा अमीर ख़ुसरौ
- पुस्तक : Sukhan Waraan-e-Izzat (पृष्ठ 115)
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