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फूल शबनम और ज़मीन-ओ-आसमाँ रौशन हुए

सय्यद हसन अहमद

फूल शबनम और ज़मीन-ओ-आसमाँ रौशन हुए

सय्यद हसन अहमद

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    रोचक तथ्य

    منقبت در شان حضرت علی مرتضیٰ کرم اللہ وجہہ الکریم (نجف-عراق)

    फूल शबनम और ज़मीन-ओ-आसमाँ रौशन हुए

    आमद-ए-मौला 'अली से कुल जहाँ रौशन हुए

    जिन की आमद से मो'अत्तर का'बतुल्लाह हो गया

    ख़ूबसूरत गुल-बदन 'अंबर-फ़िशाँ रौशन हुए

    हज़रत-ए-मौला 'अली की हर अदा और क़ौल से

    रब के औसाफ़-ए-करीमा के निशाँ रौशन हुए

    हुस्न-ए-हैदर की तजल्ली से मलक जिन्न-ओ-बशर

    आफ़्ताब-ओ-माहताब-ओ-कहकशाँ रौशन हुए

    क़ुर्ब-ए-हक़ के हर सलासिल के रहे मौला इमाम

    और तसव्वुफ़ के उन्ही से कारवाँ रौशन हुए

    ख़ुसरव-ए-क़ुद्स-ए-आस्ताँ ताज-ए-इमामत के नगीं

    मज़्हर-ए-ख़ालिक़ इमाम-ए-’आरिफ़ाँ रौशन हुए

    'आशिक़-ए-हैदर ने मुश्किल में पुकारा जब उन्हें

    आप 'आशिक़ की मदद को ना-गहाँ रौशन हुए

    क़ादरी चिश्ती सुह्रवर्दी हो या हो नक़्श-बंद

    मुर्तज़ा के नूर से हर आस्ताँ रौशन हुए

    तीरगी सी छा रही थी चार सू लेकिन 'हसन'

    जश्न-ए-मीलाद-ए-’अली से हर मकाँ रौशन हुए

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