रक़म हो कब सिफ़त तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
रोचक तथ्य
منقبت در شان غریب نواز خواجہ معین الدین چشتی (اجمیر-بھارت)
रक़म हो कब सिफ़त तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
वो 'आली-शान है तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
तेरे दरबार जो आए मतालिब सारे ले जाए
सख़ी सरकार है तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
ज़मीन-ओ-आसमाँ तेरा मकीन-ओ-ला-मकाँ तेरा
फ़लक पर धूम है तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
तिरे दरिया-ए-वहदत में जहाज़ और बेड़ा कब अटका
तु कश्ती पार कर मेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
बयाँ कब कर सकूँ तेरा कहाँ मक़्दूर है मेरा
जहाँ में धूम है तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
तु है मक़बूल अल्लाह का प्यारा है मोहम्मद का
बयाँ क्या हो सिफ़त तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
प्यासे जितने आते हैं वो सब सैराब होते हैं
'अजब जूद-ओ-सख़ा तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
ज़बाँ पर नाम है तेरा फ़लक पर हूर-ओ-ग़िल्माँ के
सभी हैं याद में तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
ज़बाँ पर नाम है तेरा फ़लक पर हूर-ओ-ग़िल्माँ के
सभी हैं याद में तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
ख़त-ए-हाज़ा हबीबुल्लाह व-माता फ़ी-हुब्बिल्लाह
लिखा माथे पे है तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
'आलाउद्दीन निज़ामुद्दीन फ़रीदुद्दीन कुत्बुद्दीन
वो ज़ात-ए-पंजतन तेरी मु'ईनुद्दीन अजमेरी
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