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Sufinama

ऐ बे-नियाज़-ए-मालिक मालिक है नाम तेरा

शाह अकबर दानापूरी

ऐ बे-नियाज़-ए-मालिक मालिक है नाम तेरा

शाह अकबर दानापूरी

बे-नियाज़-ए-मालिक मालिक है नाम तेरा

मुझ को है नाज़ तुझ पर मैं हूँ ग़ुलाम तेरा

हो शौक़ मरते-दम भी ख़ुश-ख़िराम तेरा

आँखों में दम हो अपना लब पर हो नाम तेरा

मैं हूँ ज़ई'फ़ बंदा तू मालिक क़वी है

इ’स्याँ है फ़े'ल मेरा बख़्शिश है काम तेरा

हर मुर्ग़-बाग़ तेरी तस्बीह पढ़ रहा है

हर बर्ग की ज़बाँ से सुनता हूँ नाम तेरा

क्यूँ कर हो शुक्र हम से तेरी इ’नायतों का

तेरा रसूल लाया हम तक पयाम तेरा

होगा बड़े बड़ों का हंगामा रोज़-ए-महशर

'अकबर' क़ुबूल होगा क्यूँ कर सलाम तेरा

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परवेज़ आ'लम

परवेज़ आ'लम

मंज़ूर आलम साबरी

मंज़ूर आलम साबरी

परवेज़ आ'लम

परवेज़ आ'लम

स्रोत :
  • पुस्तक : तजल्लियात-ए-इ’श्क़ (पृष्ठ 28)
  • रचनाकार : शाह अकबर दानापुरी
  • प्रकाशन : शौकत शाहजहानी, आगरा (1896)
  • संस्करण : First

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