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तुम शाह-ए-विलायत हो अमीर-ए-दोसरा हो

बेदम शाह वारसी

तुम शाह-ए-विलायत हो अमीर-ए-दोसरा हो

बेदम शाह वारसी

MORE BYबेदम शाह वारसी

    रोचक तथ्य

    منقبت درشان حضرت شاہ عبدالمنعم کنزالمعرفت شاہ ولایت (دیوہ۔ہندوستان)

    तुम शाह-ए-विलायत हो अमीर-ए-दोसरा हो

    मौला हो मिरे क़ौम नसीरी के ख़ुदा हो

    शादाबी-ए-गुलज़ार-ओ-आ'लम तुम्हीं से

    तुम पर तो आईना-ए-लौलाक लम्मा हो

    जब अहमद बे-मीम कहें लहमक लहमी

    फिर कौन कहे तुम को कि तुम कौन हो क्या हो

    मोहताज को ख़ाली दर-ए-अक़्दस से फेरो

    मलजा-ए-ग़रेबान हो मुल्ला ज़ुलफ़्क़र हो

    है ज़ेर-ए-नगीं ममलकत-ए-सब्र-ओ-तवक्कुल

    तुम बादशाह-ए-किश्वर-ए-तस्लीम-ओ-रज़ा हो

    हाँ राकिब-ए-दोश-ए-नबवी कौन है तुम हो

    तुम हैदर-ए-कर्रार हो तो तुम शेर-ए-ख़ुदा हो

    हमनाम-ए-ख़ुदा के भी अ'ली नाम-ए-ख़ुदा हो

    अल्लाह का जो घर है वो मौलिद है तुम्हारा

    क्या लुत्फ़ हो पी-पी के लब-ए-चश्मा-ए-कौसर

    हर मस्त कहे साक़ी-ए-कौसर का भला हो

    शाह-ए-नजफ़ शबर-ओ-शब्बीर का सदक़ा

    मुझ तिश्ना-ए-दीदार को इक जाम-ए-अ'ता हो

    तुम चारा-ए-आ'लम हो जो बे-चारा है 'बेदम'

    मोहताज है ये तुम तो अमीर-उल-उमरा हो

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-बेदम (पृष्ठ 389)

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