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सहारा है फ़क़त मुझ को सहारा शाह-ए-अकबर का

अरशद बलरामपुरी

सहारा है फ़क़त मुझ को सहारा शाह-ए-अकबर का

अरशद बलरामपुरी

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    सहारा है फ़क़त मुझ को सहारा शाह-ए-अकबर का

    सुकून-ए-क़ल्ब का ज़रिया' है रौज़ा शाह-ए-अकबर का

    जिसे भी उन से निस्बत है मुक़द्दर का सिकंदर है

    कि उस के वास्ते काफ़ी है सदक़ा शाह-ए-अकबर का

    ग़ुलामी आप के दर की शहंशाही से अफ़ज़ल है

    ग़ुलामों को मिला दर से है टुकड़ा शाह-ए-अकबर का

    शबीह-ए-सरवर-ए-आ'लम हैं ये सुनने में मिरे आक़ा

    दिखा दे या ख़ुदा कैसा है मुखड़ा शाह-ए-अकबर का

    नवाज़िश बुल-उ'ला की है करम मुर्शिद पिया का है

    ज़माने में जहाँ देखो है शोहरा शाह-ए-अकबर का

    मुअ'ज़्ज़ज़ क्यूँ ये होगा घराना मुस्तफ़ा का है

    रसूल-ए-पाक से मिलता है शजरा शाह अकबर का

    ज़माने के लई’नों से बचाते 'अरशदी' को हैं

    करम हर वक़्त होता है हमेशा शाह-ए-अकबर का

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