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Sufinama

रक़म कब हो सिफ़त तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

अज्ञात

रक़म कब हो सिफ़त तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

अज्ञात

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    रोचक तथ्य

    منقبت درشان خواجہ معین الدین چشتی (اجمیر-راجستھان)

    रक़म कब हो सिफ़त तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    वो ’आली-शान है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    बयाँ मैं क्या करूँ तेरा कहाँ मक़्दूर है मेरा

    वो ज़ात-ए-ला-मकाँ तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    ज़मीन-ओ-आसमाँ तेरा मकीन-ओ-ला-मकाँ तेरा

    फ़लक पर धूम है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    तिरे दरबार जो आए मुरादें दिल की वो पाए

    सख़ी सरकार है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    तू ही है पीर पीरों का क़ुतुब और ग़ौस अमीरों का

    हकूमत-ए-हिन्द है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    तू क़ुतबुद्दीं फ़रीदुद्दींं निज़ामुद्दींं ’अलाउद्दीं

    ये शान-ए-पंजतन तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    तू है हादी हिदायत का तू है वाली विलायत का

    फ़क़्र मीरास है तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    वसीला तू गदाओं का शहंशाह बादशाहों का

    दोहाई घर-ब-घर तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    तू दिलवा 'शम्स' के मक़्सूद 'अलाउद्दीन साबिर ज़ूद

    हुज़ूरी में रहूँ तेरी मु’ईनुद्दीन अजमेरी

    स्रोत :
    • पुस्तक : Naghma-e-Sheeri'n (पृष्ठ 15)

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