Font by Mehr Nastaliq Web

सरदार अहल-ए-'इरफ़ाँ सरताज हर वली का

अज्ञात

सरदार अहल-ए-'इरफ़ाँ सरताज हर वली का

अज्ञात

MORE BYअज्ञात

    रोचक तथ्य

    منقبت در شان شیر خدا حضرت علی مرتضیٰ (نجف-عراق)

    सरदार अहल-ए-'इरफ़ाँ सरताज हर वली का

    क्या शान है 'अली की क्या मर्तबा 'अली का

    जारी है बहर-ए-'इरफ़ाँ शाह-ए-नजफ़ के दर पर

    पीना हो जिस को पी ले ये जाम बीख़ोदी का

    मोमिन हो ख़्वाह काफ़िर 'आलिम हो ख़्वाह हो ज़ाहिद

    मौला है वो सभी का ये क़ौल है नबी का

    आज़ाद हो गए हैं वो क़ैद-ए-दो-जहाँ से

    रोज़-ए-अज़ल से प्याला जो पी चुके 'अली का

    ‘बे-बाक’ मिट जाए क्यूँ ग़ौस-ए-पाक तुम पर

    सीरत है ये नबी का अंदाज़ है 'अली का

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए