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Sufinama

वो नूर-ए-ख़ुदा है जल्व:-नुमा किस शान से अपने प्यारों में

उमर वारसी

वो नूर-ए-ख़ुदा है जल्व:-नुमा किस शान से अपने प्यारों में

उमर वारसी

MORE BYउमर वारसी

    वो नूर-ए-ख़ुदा है जल्व:-नुमा किस शान से अपने प्यारों में

    सूरज है चमकते ज़र्रों में या चाँद है रौशन तारों में

    हैरत है जिन को मद्ह-ए-नबी आई किताब-ए-हक़ में नज़र

    हम को तो मिली ना'त-ए-अहमद क़ुरआन के तीसों पारों में

    क्या कहिए रुख़-ओ-दंदाँ की चमक अदना सी नज़र आती है झलक

    कुछ दिन को चमकते सूरज में कुछ रात के रौशन तारों में

    बू-बकर-ओ-उमर उसमान-ओ-अली सौ-जान से थे शैदा-ए-नबी

    थी एक तड़प उन चारों में थी एक चमक उन तारों में

    उस सरवर-ए-दीं पर जान फ़िदा की जिस ने नमाज़-ए-इश्क़ अदा

    तलवारों की झंकारों में और तीरों की बौछारों में

    गो मस्त-ए-मय-ए-उल्फ़त हूँ मगर मज़हब का भी है एहसास 'उमर'

    दीवान: भी हूँ दीवानों में हुशियार भी हूँ हुशयारों में

    स्रोत :
    • पुस्तक : तज़किरा शोरा-ए-वारसिया (पृष्ठ 179)
    • प्रकाशन : फाइन बुकस प्रिंटर्स (1993)
    • संस्करण : First

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