जब मिरी तिश्ना-लबी ने देख ली जू-ए-अ'ली
रोचक तथ्य
منقبت درشان حضرت مولیٰ علی (نجف۔ عراق)
जब मिरी तिश्ना-लबी ने देख ली जू-ए-अ'ली
भूल कर सारे तकल्लुफ़ बढ़ चली सू-ए-अ’ली
जितना जिस में ज़र्फ़ हो सैराब हो सकता है वो
इ'ल्म का दरिया है इक इक ज़र्रा कू-ए-अ6ली
शाह-मर्दां शेर-ए-यज़्दाँ ऐ मिरे ख़ैबर-शिकन
देख कर दुनिया पुकारी चश्म-ओ-अब्रू-ए-अ’ली
ज़िंदगी भर रौशनी आँखों की जा सकती नहीं
ख़्वाब में भी देख ले कोई अगर रू-ए-अ'ली
क़ादरी चिश्ती सुह्रवर्दी किसी से पूछ लो
जिस से हर ख़ित्ता हुआ सैराब है जू-ए-अ'ली
किस लिए अपने क़दम रखे ज़मीं पर वो भला
जिस को हासिल होगई हो दौलत मू-ए-अ'ली
कुछ न देखेंगे ये दीवाने चलेंगे उस तरफ़
जिस तरफ़ तेरा इशारा होगा अबरू-ए-अ'ली
दुश्मनी असहाब पैग़म्बर से तू रखता है क्यूँ
ये न किरदार-ए-अ'ली है और न है ख़ू-ए-अ'ली
हिन्द की धरती को उस के क़ुर्ब ने महका दिया
इक क़लंदर को जो यावर मिल गई बू-ए-अ'ली
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