ब-सुख़न आमदन-ए-तिफ़्ल दरमियान-ए-आतिश-ओ-तहरीज़ कर्दन-ए-ख़ल्क़ रा दर उफ़्तादन-ए-ब-आतिश
यहूदी बादशाह का एक ’औरत को मआ’ बच्चे के लाना और उसका बच्चे को आग में डालना और आग में से बच्चे का बोलना
यक ज़ने बा-तिफ़्ल आवुर्द आँ जहूद
पेश-ए-आँ बुत-ओ-आतिश अंदर शो'लः बूद
वो यहूदी एक ’औरत को मआ’ बच्चे के लाया
बुत के सामने, और आग शो’ला-ज़न थी
तिफ़्ल अज़ू ब-सितद दर आतिश दर फ़-कंद
ज़न ब-तर्सीद-ओ-दिल अज़ ईमाँ ब-कंद
उसने उससे बच्चे को छीना और आग में डाल दिया
’औरत डरी और दिल को ईमान से हटाया
ख़्वास्त ता-ऊ-सज्दः आरद पेश-ए-बुत
बाँग ज़द आँ तिफ़्ल कि इन्नी लम-अमुत
उसने चाहा कि वो बुत के सामने सज्दा करे
बच्चा चीख़ा कि मैं मरा नहीं
अंदर आ ऐ मादर ईंं-जा मन ख़ुशम
गरचे दर सूरत मियान-ए-आतिशम
अम्माँ अंदर आजा मैं इस जगह अच्छा हूँ
अगरचे ब-ज़ाहिर आग में हूँ
चश्म बंद-अस्त आतिश अज़ बहर-ए-हुजीब
रहमतस्त ईं सर बर आवुर्दः ज़ जेब
आग नज़र-बंदी के लिए एक पर्दा है
(वर्ना) ये एक रहमत है जो रू-नुमा है
अंदर आ मादर ब-बीं बुर्हान-ए-हक़
ता ब-बीनी 'इशरत-ए-ख़ासान-ए-हक़
माँ अंदर आ सच्चाई की दलील देख
ताकि तू ख़ासान-ए-ख़ुदा के ’ऐश को देखे
अंदर आ-ओ-आब बीं आतिश मिसाल
अज़ जहाने कि-आतिशस्त आबश मिसाल
अंदर आ और आग की सूरत का, पानी देख
इस दुनिया से जिसका पानी (भी) आग जैसा है
अंदर आ असरार-ए-इब्राहीम ब-बीं
कू दर आतिश याफ़्त सर्व-ओ-यासमीं
अंदर आ हज़रत इब्राहीम के राज़ देख
जिसने आग में गुलाब और चंबेली के फूल पाए
मर्ग मी दीदम गह ज़ादन ज़ तू
सख़्त ख़ौफ़म बूद उफ़्तादन ज़ तू
तुझसे पैदा होने के वक़्त मुझे मौत नज़र आ रही थी
तुझमें से निकल पड़ने का मुझे बहुत डर था
चूँ ब-ज़ादम रस्तम अज़ ज़िंदान-ए-तंग
दर जहाने ख़ुश हवा-ए-ख़ूब रंग
जब मैं पैदा हुआ तंग क़ैद-ख़ाना से छूटा
अच्छे मक़ाम और अच्छे रंग की दुनिया में (आ गया)
मन जहाँ रा चूँ रहम दीदम कनूँ
चूँ दरीं आतिश ब-दीदम ईं सुकूँ
अब मैं इस दुनिया को रहम की तरह समझता हूँ
जब मैंने इस आग में ये सुकून देखा
अंदरीं आतिश ब-दीदम 'आलमे
ज़र्रः ज़र्रः अंदर ऊ 'ईसा दमे
मैंने इस आग में वो दुनिया देखी
जिसमें एक-एक ज़र्रा ’ईसाई के दम की तरह है
नक जहान-ए-नीस्त शक्ले हस्त ज़ात
वाँ जहान-ए-हस्त शक्ले बे-सबात
अब एक दुनिया है ब-ज़ाहिर मा’दूम, दरअस्ल मौजूद
और वो दुनिया की मौजूदा शक्ल ना-पाइदार है
अंदर आ मादर ब-हक़्क़-ए-मादरी
बीं कि ईं आज़र न-दारद आज़री
माँ अंदर आ मादरी हुक़ूक़ का वास्ता
देख ये आग, आग की तासीर नहीं रखती है
अंदर आ मादर कि इक़बाल आमदस्त
अंदर आ मादर म-देह दौलत ज़ दस्त
माँ अंदर आ कि ख़ुश-क़िस्मती आ गई है
माँ अंदर आ दौलत को हाथ से न दे
क़ुदरत-ए-आँ सग ब-दीदी अंदर आ
ता ब-बीनी क़ुदरत-ए-लुत्फ़-ए-ख़ुदा
तूने उस कुत्ते की ताक़त देख ली, अंदर आ
ताकि तू अल्लाह की क़ुदरत और मेहरबानी देख ले
मन ज़ रहमत मी किशानम पा-ए-तू
कज़ तरब ख़ुद नीस्तम परवा-ए-तू
मैं मोहब्बत की वजह से तेरा पैर खोल रहा हूँ
(वर्ना) ख़ुशी की वजह से मुझे तेरी परवा नहीं है
अंदर आ-ओ-दीगराँ रा हम बख़्वाँ
कि-अन्दर आतिश शाह ब-निहादस्त-ख़्वाँ
अंदर आ जा, और दूसरों को भी बुला ले
क्यूँकि आग में शाह ने दस्तर-ख़्वान बिछा दिया है
अंदर आयेद ऐ मुसलमानाँ हमः
ग़ैर ईं 'अज़बे 'अज़ाबस्त आँ हम:
ऐ लोगो सब के सब परवानों की तरह अंदर आ जाओ
इस आग में जिसमें सैंकड़ों बहारें हैं
अंदर आयेद ऐ हमः परवानः-वार
अंदरीं बहरः कि दारद सद बहार
ऐ मुसलमानो सब अंदर चले आओ
दीन के मीठे पानी के ’इलावा सब ’अज़ाब है
बाँग मी ज़द दरमियान-ए-आँ गिरोह
पुर हमी शुद जान-ए-ख़ल्क़ाँ अज़ शिकोह
उस जमा’अत में वो पुकार रही थी
लोगों की जान ’अज़्मत से पुर हो रही थी
ख़ल्क़ ख़ुद रा बाद अज़ आँ बे-ख़्वेशतन
मी फ़िगंदंद अंदर आतिश मर्द-ओ-ज़न
उसके बा’द बे-ख़ुद हो कर लोग अपने आपको
मर्द-ओ-’औरत, आग में डाल रहे थे
बे-मुवक्किल बे-कशिश अज़ 'इश्क़-ए-दोस्त
ज़ाँ-कि शीरीं कर्दन-ए-हर तल्ख़ अज़ूस्त
दोस्त के ’इश्क़ की वजह से किसी के बुलाने और कशिश के ब-ग़ैर
इसलिए कि हर तल्ख़ का शीरीं कर देना उसकी ही जानिब से है
ता चुनाँ शुद कि-आँ 'अव्वानाँ ख़ल्क़ रा
मन्अ' मी कर्दंद कि आतिश दर मिया
यहाँ तक हुआ कि वो सिपाही लोगों को
मना’ करते थे कि आग में न आओ
आँ यहूदी शुद सियः-रू-ओ-ख़जिल
शुद पशेमाँ ज़ीं सबब बीमार दिल
वो यहूदी सियह-रू और शर्मिंदा हो गया
दिल का बीमार, इस वजह से पशेमान हो गया
कि-अन्दर ईमाँ ख़ल्क़ 'आशिक़-तर शुदंद
दर फ़ना-ए-जिस्म सादिक़-तर शुदंद
कि लोग आग में गिरने के और ज़्यादा ’आशिक़ हो गए
जिस्म को फ़ना करने में और सच्चे हो गए
मक्र-ए-शैताँ हम दर ऊ पेचीद शुक्र
देव हम ख़ुद रा सियः-रू दीद शुक्र
शुक्र है, शैतान का मक्र उसी को चिमट गया
शुक्र है, शैतान ने अपने आपको भी काला मुँह देखा
आँ-चे मी मालीद दर रू-ए-कसाँ
जम' शुद दर चेहरः-ए-आँ ना-कसाँ
(वो सियाही) जो वो लोगों के मुँह पर मलता था
उन कमीनों के चेहरों पर इकट्ठी हो गई
आँ-कि मी दुर्रीद जामः-ए-ख़ल्क़ चुस्त
शुद दरीदः आन-ए-ऊ ईशाँ दुरुस्त
जो तेज़ी से लोगों की जामा-दरी करता था
उसका जामा चाक हो गया, उनका दुरुस्त हो गया
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