Sufinama

सी-हर्फ़ी

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    अलिफ़ अल्लाह आप इलाही अपरूप अवानकार

    अहद निर्गुण अरुपे निरंजन अन्तःकरन करतार

    बे बसीरत बसर बसारत बाँहर बेहतर देख

    बंदः बंदगी-पन सूँ बूजे बारी-तआला एक

    ते तअ'य्युन अव्वल तरातन तक़्वा इस्थवल

    त्रिकुटी त्रि-मूरतः जिस ते तिरबेनी तरमूल

    से सना पर साबित हो कर लीजिए हर का नांव

    सना सिफ़त उस हर का कीजिए जो हर है हर ठाओं

    जीम जमाली जगत जगत का जिभ्वा जबरूत जान

    जलाल जमाल पर शाहिद हो कर जाप जियो कर ध्यान

    हे हक़ीक़त हुक्म-ए-इलाही हाज़िर-ओ-नाज़िर जानो

    हकीम हाफ़िज़ हाकिम हिकमत हाजत रख पहचानो

    ख़े ख़िल्क़त में ख़ला-मला हो ख़ल्वत-ख़ानः कीता

    ख़ालिक़ ख़ूबी ख़बर ख़लक़ का ख़ास नबी कूँ देता

    दाल दलालत दिल पर दाता ध्यान धनी का कीजे

    दुख दुखी का दूर करन कूँ ध्यान दरस का दीजे

    ज़ाल ज़लालत ज़िल्लत सट कर ज़िकर फ़िकर में रहना

    ज़ात सिफ़ात के ज़ौक़ों बाताँ ज़ाकिर हो कर कहना

    रे रियाज़त रब पर राज़ी रहना रात होर देस

    राम रहीम रहमान है एक ही सतगुर का उपदेस

    ज़े ज़ानू धर याद-ए-ख़ुदा में ज़र ज़ेवर सब छोड़ो

    ज़ारी कर कर ज़ेब-ओ-ज़ीनत की उल्फ़त मन सूँ तोड़ो

    सीन सम्अ पर सामेअ' हो कर सुन अनजद का याद

    सिरी सरूपः सब सरत नृतः से सखियाँ में शाद

    शीन शहादत शाहिद हो कर शरीअ'त पूरा शाकिर

    शौक़ शुहूद मशहूदी शग़्लों दाइम रहना ज़ाकिर

    साद सब्र कर साबिर रहना अपनी साहिब का करन

    सादिर वारिद आवागवन पर शाहिद रखना तन-मन

    ज़ाद ज़ियाफ़त ज़ाबित हो कर ज़रूर जानो लाज़िम

    ज़िद ज़िया कूँ ज़रर करेगा ज़िद का मत हो ख़ादिम

    तोय ताक़त सूँ तालिब हो कर तलब हासिल कर तूँ

    तब्अ' तमअ' की तरफ़ ला कर तरीक़त पर मन धर तूँ

    ज़ोय ज़ुल्म का ज़ुल्मत दूर कर ज़ाहिर होना

    ज़िल में मुर्शिद-ए-कामिल मिले तो ज़िंदगी सारी खोना

    ऐन अली का अबद कला कर ऐनियत कूँ बूझे

    आशिक़ आरिफ़ जो जिस कूँ रस्म-ए-ऐनी सूझे

    ग़ैन ग़ुलाम मौला हो कर ग़ालिब ग़ज़ब पर अचना

    ग़रीब सेती ग़नी कला कर ग़ैर-ओ-ग़रूर सूँ बचना

    फ़े फ़ना हो फ़ानी फ़िल्लाह फ़क़र फ़ाक़े सात

    फ़हम फ़रासत फ़ज़्ल करम सूँ फ़ाएदा कीजे हात

    क़ाफ़ क़दीम है क़ादिर क़ुदरत क़ाहिर इस्म-ए-ख़ास

    क़ज़ा क़दर पर क़ाने हो कर रहना बा-इख़्लास

    काफ़ कलाम पर कल कामिल कुन कलिमा सिमरन कर

    कुफ़्र किब्र का छोड़ पिचानो करीम पर मयर

    लाम लिक़ा सूँ लट-पट हो कर लज़्ज़त ली हो लाल

    लाज़िम करना मजनूँ ख़ातिर लैला का अहवाल

    मीम मोहम्मद मौला मेरा मुख़्बिर सादिक़-पाक

    जिस के कारन शशी दवा कर होर भया अफ़्लाक

    नून नाज़िर है नूर-ए-नबी पर होर नबुव्वत नादिर

    निर्गुण साईं नाम निरंजन तिस कुल पर क़ादिर

    वाव वजूद वाजिब तन सूँ वाहिद वहदत बूजो

    वली विलायत वाली वासिल वाक़िफ़ कसरत बूजो

    हे हिदायत हादी हो कर हुवल्लाह बतलाए

    हर-दम हू-हू नाम बता कर सेंदी मार्ग लाए

    यक़ीन सूँ याद ख़ुदा का या-हू या-हो करना

    मन अरफ़ सब हासिल कर फ़क़द पर मन धरना

    'तुराब' बीस्त-ओ-हश्त हर्फ़ का बयाँ किया है सारा

    हर-यक बैत में हर-यक मतलब राखा हैगा न्यारा

    स्रोत :
    • पुस्तक : दीवान-ए-तुराब (पृष्ठ 494)
    • रचनाकार : शाह तुराब अली दकनी
    • प्रकाशन : अंजुमन तरक़्क़ी उर्दू (पाकिस्तान) (1983)
    • संस्करण : First

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