कैसी मोहन बंसी वजाई
कैसी मोहन बंसी वजाई
सुनत धुन मोहे सुध नहीं पाई
उत्तम सावन मास बिकसत पुन करे नर नारी
साथ सखी ले मंगल गावत आधी रैन अँधारी
कान परी धुन मोह लयो मन ये ब्रिजलाल व्यहारी
मधुर बजावत राग अलापत गावत तान सलाई
भादो मासमों मेघ गडागड़ टपकत बुंदरी ख़ासी
रुमझुम-रुमझुम झुरमुट झरिया बरखत है घनरासी
ओढि खुशाल दुशाल पिया संग रमही भोगविलासी
बिजलीसी वंसी आयी परि मोहे मदन कुमार भगाई
कुँवारी करे सिंगार सवारो सेज पे नाथ हूँ बैठी
सारी हरी चुनरी पेहरी भर जीवन नैन अँगेठी
आयो पियो मोरे लपट गले मिल बोलत बातही मीठी
तो सुनो आओ नंद कछु तन मन धन आस छुराई
कार्तिक मासमों गोरिया नहावत कुटिलालक सवारे
बैठी हती ढीग मातपिताजू के कानन नाद न्यहारे
बिंदराबन ब्रजराज बजावत बंसी नंददुलारे
से सुनके भई बावरी चंचल मन कछु सूजत नाहीं
अघहनमों अघहर बरत करत है पूजत देवि कुँवारी
माँगत दे भक् जनम जनम की दे कंश या बनवारी
जमुना जी के तट निकट बिराजत ठाडी भये पुतनारी
साथ लियो ब्रिजबाल गोपाल ज्यो पिता घट कास सोंहाई
पूसनमों कछु पूसन पावे सिर पूरन भई है उदासी
ज्या गहयों मन प्रभुपायनसों गृहधन आस निरासी
धुन सुन मुरली की बिकल भयो मन कुंजमें ज्याय के निकसि
हरि बिन कछु नहिँ सूजत या मन बाबरि भइ है लुगाई
माहो मासमों मनसिज मोरे बाजत थंड घनेरी
तकिया तोशक नरम न्याहली कछु नहिँ लागत प्यारी
मारी अटारिके डारी निरखत नैन कुंज व्यहारी
खडरस मोहे मीठो न लागत बंसी चित्त चुराई
फागण मासमों खेलत फागको सब मिलया ब्रिजनारी
ग्यान गुलाल और ध्यान अबिर की हाथ लिई भर जोरी
भक्ती की रंग सुरंग बलायोरी प्रेम भरे पिचकारी
ऐसी भई मतवारी सखी सब कान्हकु देखन आयी
चैतनमों मधु चित्त चितावत कामि भई मृगनैनी
आंव के वनमांही किलकत कोकिल बोलत अमृत बानी
ब्रजराज बिरह की मारी भई तब मोहन लागसों हानी
मुरलि नही सखी मोहनी डारी नाँद सुनी ललचाई
बैशाख मासमों आई उदासी झारत जब रूख पाती
तैसे हूँ डार सिंगार जो हरि बिन भरमर आवत छाती
आधि रैन मोहे चैन परे नहीं कुंजमों धूंडन जाती
बावरी भई जैसी बिजया सारी सूध गमाई
मास भये दस हैरत बाटके तो सखी जेठ ही आयो
दास उदास के आस मिलि बेगी सुभ सकुनही दिखायो
बहुवा फिरकत बाजुवा लपलपके नैन चलावो
आई हुती कही मोसों सखि चल बेगी कान्ह बुलाई
आई आखाडमों आस पुरी मन पुरनानंद भयोरी
या तन कुँजमों श्रीगुरुगोबिंद आतमाराम न्यहारी
समरस रम कहयो मानरूपमों वृत्ति भई अविकारी
'देवनाथ' प्रभु अंतर बाहिर छाय रह्यो सबमांही
प्रभु सुंदर मुरली बजाई या तनमों सब हेत मिठाई
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