बाज़ आमदम बाज़ आमदम अज़ पेश-ए-आँ-यार आमदम
बाज़ आमदम बाज़ आमदम अज़ पेश-ए-आँ-यार आमदम
दर मन निगर दर मन निगर बह्र-ए-तू ग़म-ख़्वार आमदम
मैं वापस आ गया, मैं अपने यार के पास से लौट आया
देखो मैं तुम्हारे लिए दुख दूर करने आ गया
शाद आमदम शाद आमदम वज़ जुमल: आज़ाद आमदम
चंदीं हज़ाराँ साल शुद मन ब-गुफ़्तार आमदम
मैं ख़ुशी-ख़ुशी पुर्री दुनिया से आज़ाद हो कर आया
हज़ारों वर्षों के बाद मुझे बोलने की शक्ति मिली है
मन मुर्ग़-ए-लाहुती बुदम दीदम कि नासूती शुदम
दामश ब-दीदम नागहे दर वय गिरफ़्तार आमदम
मैं लौकिकता का परिंदा था अब अलौकिक हो गया हूँ
मैं ने अचा नक उस का दामन थामा और उसका क़ैदी हो गया
मन नूर-ए-पाकम ऐ पिसर दर मुश्त-ए-ख़ाक-ए-मुख़्तसर
आँ जा बया मा रा ब-बीं किंजा सुबुकसार आमदम
मेरे बेटे! मैं मुट्ठी भर मिट्टी में शुद्ध प्रकाश हूँ
यहाँ आओ और देखो मैं कितनी तेजी से दौड़ता आया हूँ
वय रा चु जोयाँ आमदम गिर्यान-ओ-पोयाँ आमदम
मानिन्द-ए-मस्ताँ आमदम वय रा तलब-गार आमदम
मैं उस की तलाश में रोता-भागता आया
मैं उस की तलब में मस्तों की तरह आया
अज़ शम्स-ए-तबरेज़ी' नज़र बर मन मय-फ़गन बा-ख़तर
कंंदर बयाबान-ए-फ़ना जान-ओ-दिल-अफ़्गार आमदम
‘शम्स तब्रेज़ी’ की तरह मुझ पर ख़ौफ़ की नज़र मत डाल
क्योंकि मैं इस फ़ना के मैदान में टूटे दिल के साथ आया हूँ
- पुस्तक : नग़्मात-ए-सिमा (पृष्ठ 255)
- प्रकाशन : नूरुलहसन मौदूदी साबरी (1935)
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