नीस्त जुज़ आहंग-ए-’इश्क़ आवाज़-ए-मूसीक़ार-ए-मन
नीस्त जुज़ आहंग-ए-’इश्क़ आवाज़-ए-मूसीक़ार-ए-मन
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
MORE BYशाह नियाज़ अहमद बरेलवी
नीस्त जुज़ आहंग-ए-’इश्क़ आवाज़-ए-मूसीक़ार-ए-मन
रब्बी-अरेनी मी-नवाज़द बर लब-ए-हर-तार-ए-मन
मेरे ’इश्क़ के वाद्य की आवाज़ मेरे संगीतकार की आवाज़ के अतिरिक्त
और कुछ नहीं है मेरी वाणी का प्रत्येक तार रब्बि अरिनी गा रहा है
बस-कि हस्तम साया-पर्वर ज़ेर-ए-बाल-ए-मेहर-ए-यार
युम्न मी-गीरद हुमा अज़ साया-ए-दीवार-ए-मन
मैं अपने महबूब के परों के नीचे, छाया में हूँ
मेरी दीवार की छाया से हुमा धन्य हो जाती है
ऐ नसीम-ए-गुलशनी हाँ सू-ए-दुक्कानम बिया
ता रसानद दर मशामत बू-ए-जाँ अत्तार-ए-मन
ऐ चमन की ठंडी हवा हाँ मेरी दुकान की तरफ़ आ
ताकि मेरा सुगंधकार आत्मा की ख़ुशबू तुम्हारे मस्तिष्क तक पहुँचा दे
हुस्न-ए-ख़ूबाँ बह्र-ए-हक़-बीनी मिसाल-ए-ऐनक अस्त
मी-दहद बीनाई अंदर दीदः-ए-नज़्ज़ार-ए-मन
परियों की सुंदरता सच्चाई को देखने के लिए एक चश्मे की तरह है
ये मेरी आँखों को दृष्टि प्रदान करता है
हम-चू दरिया-ए-मुहीत ई क़तरा-अम शुद मौज-ज़न
चू ब-ख़ुद ग़र्क़म नमूद आँ क़ुल्ज़ुम-ए-ज़ख़्ख़ार-ए-मन
मेरी ये बूँद समुंद्र की भाँति तरंगित हो गई
जब मेरे समुंद्र ने ख़ुद में मुझे डुबोया
कर्द मा रा बे-नियाज़ आँ क़िब्लः-ए-अहल-ए-'नियाज़'
लुत्फ़-फ़र्मा शुद ब-अहवाल-ए-दिल-ए-अफ़गार-ए-मन
इस अहल-ए-‘नियाज़’ के क़िब्ला ने मुझे बे-कार बना दिया
वो मेरे घायल दिल की स्थिति में दिलचस्पी लेने लगा
- पुस्तक : दीवान-ए-नियाज़-ए-बे-नियाज़ (पृष्ठ 98)
- संस्करण : First
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