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चमने कि ता-क़ियामत गुल-ए-ऊ ब-बार-बादा

रूमी

चमने कि ता-क़ियामत गुल-ए-ऊ ब-बार-बादा

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    चमने कि ता-क़ियामत गुल-ए-ऊ ब-बार-बादा

    सनमे कि बर जमालश दो-जहाँ निसार बादा

    ऐसा उपवन कि जब तक कालचक्र चलता रहे, उसमें फूल और बहार बनी रहे।

    ऐसा प्रतिमा कि जिसके सौंदर्य पर समस्त संसार समर्पित हो जाए।

    ज़े-पगाह मीर-ए-ख़ूबाँ ब-शिकार मी-ख़रामद

    कि ब-तीर-ए-ग़म्ज़:-ए-ऊ दिल-ए-मा शिकार बादा

    प्रातःकाल सुंदरियों का स्वामी शिकार हेतु आता है,

    उसकी चितवन के बाण से मेरा हृदय भी निशाना बन जाए।

    ब-दो-चश्म-ए-मन ज़े-चश्मश चे पयाम-हास्त हर-दम

    कि दो चश्मम अज़ पयामश ख़ुश-ओ-पुर-ख़ुमार बादा

    उसकी आँखों का मेरी इन दो आँखों को क्या संदेसा मिल रहा है,

    कि ये दोनों आँखें उसके संदेश से आनंदित और मदहोश प्रतीत हो रही हैं।

    दर-ए-ज़ाहिदी शिकस्तम ब-दुआ' नमूद रग़बत

    कि ब-रौ कि रोज़गारत हम: बे-क़रार बादा

    मैंने संन्यास की रीति को तोड़ दिया, और उसने मुझे आशीर्वाद दिया,

    कि जाओ, तुम्हारा हृदय यूँ ही बेचैनी में बीते।

    क़रार माँद दिल ब-दुआ'-ए-ऊ ज़े-यारी

    कि बख़ुन-ए-मास्त तिश्नः कि ख़ुदाश यार बादा

    उस प्रियतम की दुआ के कारण मुझे कभी चैन नहीं मिला,

    हमारा रक्त प्यासा है, ईश्वर ही उसका रक्षक और सहायक हो।

    तन-ए-मन ब-माह मानद कि ज़े-इश्क़ मी-गुदाज़द

    दिल-ए-मन चू चंग-ए-ज़हरः कि गुसिस्तः तार बादा

    हमारा शरीर चाँद के भीतर समाया है और प्रेम की तपिश में पिघल रहा है,

    हमारा हृदय विष के प्याले के समान है, उसका तार सदैव टूटा हुआ ही रहे

    चे अ'रूसियस्त दर जाँ कि जहाँ ज़े-अ'क्स-ए-रूयश

    चू दो दस्त-ए-नौ-अ'रूसाँ तर-ओ-पुर-निगार बादा

    प्राण के भीतर क्या सौंदर्य छिपा है, जो संसार के चेहरे की छवि से झलकता है,

    दो नवयुवतियाँ सखियों की तरह ताजगी और सुंदरता से भरी हुई हैं।

    ब-फ़िदा-ए-जिस्म म-निगर कि ब-बोसद-ओ-ब-रेज़द

    ब-फ़िदा-ए-जाँ निगर कि ख़ुश-ओ-ख़ुश-गवार बादा

    शरीर की आहुति को मत देखो, कि चुम्बन के साथ सब समाप्त हो जाता है,

    प्राणों की समर्पणशीलता को देखो, जो सदा आनंदित और स्थायी बनी रहती है।

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