दस्त अज़ तलब न-दारम ता काम-ए-मन बर-आयद
दस्त अज़ तलब न-दारम ता काम-ए-मन बर-आयद
या जाँ रसद ब-जानाँ या जाँ ज़े-तन बर-आयद
जब तक इप्सित नहीं मिलेगा, नहीं तजूँगा अभिलाषा
या तो प्रियतम तक पहुँचेंगे या निकलेंगे मेरे प्राण
जाँ बर लबस्त-ओ-हसरत दर दिल कि अज़ लबानश
न-गिरफ़्त: हेच कामे जाँ अज़ बदन बर-आयद
हो न सका गठबंध कामना का उनके अधरों से
और इधर ये प्राण पखेरू मचल उठे उड़ने को
गुफ़्तम ब-ख़्वेश कज़ वै बर गीर दिल दिलम गुफ़्त
कार-ए-कसेस्त ईं कू बरख़्वेश्तन बर-आयद
मैंने ख़ुद से कहा कि प्यारे उससे अपना मन फेरो
मन बोला, ये वो कर सकता ख़ुद जो अपने वश में है
ब-कुशाए तुर्बतम बा'द अज़ वफ़ात-ओ-ब-निगर
कज़ आतिश-ए-दरूनम दूद अज़ कफ़न बर-आयद
मरने के उपरांत खोद कर क़ब्र देखना मेरी
मेरे अंतस कि ज्वाला से कफ़न धुँआता होगा
ब-नुमा-ए-रुख़ कि ख़ल्क़े वालिह शवंद-ओ-हैराँ
ब-कुशा-ए-लब कि फ़र्याद अज़ मर्द-ओ-ज़न बर-आयद
अपना मुख दिखला कि विश्व हो जाए चकित और तल्लीन
खोलो अधर कि जन-जन के मुख खुलें प्रार्थना के स्वर में
हर-दम चु बे-वफ़ायाँ न-तवाँ गिरफ़्त यारे
माऐम-ओ-आस्तानश ता जाँ ज़े तन बर-आयद
हम तो उसकी ड्योढ़ी पर हैं जब तक तन में प्राण
मित्र बदलते रहना, ये तो व्यभिचारी का काम
गोयन्द ज़िक्र-ए-ख़ैरश दर ख़ैल-ए-इ’श्क़-बाज़ाँ
हर जा कि नाम-ए-हाफ़िज़ दर अंजुमन बर-आयद
जब भी जहाँ कहीं मज्लिस में आता है ‘हाफ़िज़’ का नाम
उसकी गणना होती केवल अमर-प्रेमियों के दल में
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