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गुल अज़ रुख़त आमोख़्तः नाज़ुक बदनी रा बदनी रा बदनी रा

जामी

गुल अज़ रुख़त आमोख़्तः नाज़ुक बदनी रा बदनी रा बदनी रा

जामी

MORE BYजामी

    गुल अज़ रुख़त आमोख़्तः नाज़ुक बदनी रा बदनी रा बदनी रा

    बुलबुल ज़ तू आमोख़्तः शीरीं सुख़नी रा सुख़नी रा सुख़नी रा

    गुलाब ने तुम्हारे चेहरे से नज़ाकत का सबक लिया है,

    और बुलबुल ने तुम्हारी बोलचाल से मीठी बातचीत सीख ली है।

    हर कस कि लब-ए-ला'ल-ए-तुरा दीद: ब-दिल गुफ़्त ब-दिल गुफ़्त ब-दिल गुफ़्त

    हक़्क़ा चे ख़ुश-कंदः 'अक़ीक़-ए-यमनी रा यमनी रा यमनी रा

    जिस किसी ने भी तुम्हारे ला’ल जैसे होंठ देखे, उसने दिल से कहा

    निश्चय ही इस यमनी अक़ीक़ को बहुत ख़ूबसूरती से तराशा गया है।

    ख़य्यात-ए-अज़ल दोख़़्त: बर क़ामत-ए-ज़ेबा

    बर क़द्द-ए-तू ईं जामः-ए-सर्व-ए-चमनी रा चमनी रा चमनी रा

    अज़ल के दर्ज़ी (ख़ालिक़) ने तुम्हारी ख़ूबसूरत क़ामत पर

    सर्व-ओ-समन जैसा हसीन जामा तय्यार किया है।

    क़ुर्बान शवम अज़ली रा कि क़ुदरत कि ज़ क़ुदरत कि ज़ क़ुदरत

    हम-चुँ तु दुर साख़्तः यक क़तरः मनी रा मनी रा मनी रा

    मैं उस ईश्वर पर क़ुर्बान जाऊँ जिसकी शक्ति ऐसी है

    कि उसी शक्ति ने एक बूँद वीर्य से तुम्हारे जैसा (सुंदर और पूर्ण) इंसान बना दिया।

    अज़ 'जामी'-ए-बे-चारः रसानीद सलामे-ओ-सलामे-ओ-सलामे

    बर दर गह-ए-दरबार रसूल-ए-मदनी रा मदनी रा मदनी रा

    रसूल-ए-मदनी के दरबार में

    बेचारे जामी की ओर से मेरा सलाम पहुँचा देना।

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    हबीब अहमद नियाज़ी

    हबीब अहमद नियाज़ी

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