गुल अज़ रुख़त आमोख़्तः नाज़ुक बदनी रा बदनी रा बदनी रा
गुल अज़ रुख़त आमोख़्तः नाज़ुक बदनी रा बदनी रा बदनी रा
बुलबुल ज़ तू आमोख़्तः शीरीं सुख़नी रा सुख़नी रा सुख़नी रा
गुलाब ने आपके चेहरे की नर्मी से अपनी नज़ाकता सीख ली है,
और बुलबुल ने आपके होठों की मिठास से अपनी मीठी ज़ुबान की महारत हासिल की है।
हर कस कि लब-ए-ला'ल-ए-तुरा दीद: ब-दिल गुफ़्त ब-दिल गुफ़्त ब-दिल गुफ़्त
हक़्क़ा चे ख़ुश-कंदः 'अक़ीक़-ए-यमनी रा यमनी रा यमनी रा
जिसने भी आपके लाल-गूं होठों को देखा, उसके दिल ने बे-इख़्तियार कहा,
यक़ीनन, इस यमनी अकीक़ को बहुत महारत से सँवार दिया गया है।
ख़य्यात-ए-अज़ल दोख़़्त: बर क़ामत-ए-ज़ेबा-ओ-ज़ेबा
बर क़द्द-ए-तू ईं जामः-ए-सर्व-ए-चमनी रा चमनी रा चमनी रा
अज़ल के ख़य्यात ने आपकी दिलकश क़ामत पर
सर्वो-व समन-का जमील लिबास ख़ूब सँवार दिया है।
क़ुर्बान शवम अज़ली रा कि क़ुदरत कि ज़ क़ुदरत कि ज़ क़ुदरत
हम-चुँ तु दुर साख़्तः यक क़तरः-ए-मनी रा मनी रा मनी रा
आपके इश्क़ में अपने दाँत तक गँवा दिए,
और आपने ओवैस क़र्नी को अपना लिबास भेज दिया।
अज़ ‘जामी’-ए-बे-चारः रसानेद सलामे-ओ-सलामे-ओ-सलामे
बर दर गह-ए-दरबार रसूल-ए-मदनी रा मदनी रा मदनी रा
जामी की तरफ से सलाम पहुँचा दो।
दरबार-ओ-बारगाह-ए-रसूल-ए-मदनी में।
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