ऐ कि शर्ह-ए-वज़्ज़ुहा आमद जमाल-ए-रू-ए-तू
ऐ कि शर्ह-ए-वज़्ज़ुहा आमद जमाल-ए-रू-ए-तू
नुक्तः-ए-वल्लैल वस्फ़-ए-ज़ुल्फ़-ए-'अम्बर बू-ए-तू
आपके मुबारक चेहरे की खूबसूरती “वज़्ज़ुहा” की तशरीह है।
“वल्लैल” का रहस्य आपकी अंबर जैसी ख़ुशबूदार ज़ुल्फ़ों के गुणों में छुपा है
ऐ दो-चश्म-ए-सुर्मः-गीनत कुहल-ए-मा-ज़ाग़ल-बसर
क़ाबा क़ौसैनस्त रम्ज़-ए-गोश:-ए-अबरू-ए-तू
आपकी दोनों सुर्मई आँखें जिनकी सियाही “मा-ज़ाग़ल-बसर” का अर्थ है
“क़ाबा-क़ौसैन” का राज़ आपकी भवों के किनारे नज़र आता है।
नुस्ख़:-ए-फ़ीहि-शिफ़ाउन शहद-ए-गुफ़्तार-ए-ख़ुशस्त
माय:-ए-यूहयिल-इ'ज़ाम आमद लब-ए-दिल-जू-ए-तू
आपकी मीठी बातें वह नुस्ख़ा हैं जिनमें शिफ़ा है,आपके अल्फ़ाज़ शहद की तरह ख़ुशबूदार हैं।
आपकी दिलासा देने वाली बातें वो ख़ज़ाना हैं जो मुर्दा हड्डियों में भी जान डाल देती हैं।
सीन:-ए-दन्दान-ए-तू अज़ यासीं निशाने मी-देहद
सूर:-ए-हामीम दारद हल्क़:-ए-गेसू-ए-तू
आपके चमकते हुए मुबारक दाँत सूरा-ए-यासीन की ओर इशारा करते हैं,
सूरा-ए-हामीम की तफ़सीर आपकी ज़ुल्फ़ों के घेरों में है।
का'बा-ए-दिल क़िब्ल:-ए-जाँ या-रसूलल्लाह तुई
सज्द:-ए-मिस्कीँ 'हसन' हर-लहज़: बादा सू-ए-तू
या रसूल अल्लाह! आप ही मेरे दिल का काबा और आप ही मेरी ज़िंदगी का क़िबला हैं।
आप ही की जानिब ग़रीब हसन हर पल सज्दा करता रहता है।
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