यारम ब-वफ़ादारी जानानः-ए-मशहूरेस्त
यारम ब-वफ़ादारी जानानः-ए-मशहूरेस्त
चूँ मंज़िल-ए-जान-ए-जाँ काशानः-ए-मशहूरेस्त
मेरे दोस्त, तुम अपने प्रेमी की वफ़ादारी के लिए मशहूर हो,
इसलिए कि महबूब की मंज़िल, मंज़िलों की मंज़िल के लिए मशहूर है।
ख़ूनश चु गुज़श्त अज़ सर आयद ब-कफ़-ए-दिलबर
दर बज़्म-ए-मोहब्बत दिल पैमानः-ए-मशहूरेस्त
उसका ख़ून सिर से गुज़रता हुआ महबूब के हाथों तक आया है,
इसलिए कि बज़्म-ए-मोहब्बत में दिल का पैमाना मशहूर है।
जाँबाज़ी-ओ-सिद्क़-ओ-'अज़्म दर सीनः नुमूदः जम'
चूँ दार-ए-फ़ुनून-ए-'इश्क़ दिल ख़ानः-ए-मशहूरेस्त
बहादुरी, सच्चाई और इरादा सीने में जमा हैं,
इसलिए कि मोहब्बत के फ़न की दुनिया में ख़ाना-ए-दिल प्रसिद्ध है।
शोर अर ब-सरश उफ़्तद बरहम ज़नद 'आलम रा
दस्तश न-ज़नीद ईं दिल दीवानः-ए-मशहूरेस्त
उसके सिर में जो शोर पैदा हो रहा है, उससे दुनिया में हंगामा बरपा हो जाएगा,
इस दिल को हाथ न लगाना कि यह दिल दीवाना मशहूर है।
दर मज्लिस अज़ आँ गोयन्द दर मकतब अज़ आँ ख़्वानंद
'इश्क़ दिल-ए-'ला-हूती' अफ़्सानः-ए-मशहूरेस्त
उसने मजलिस में कहा और दर्स-गाह में यही पढ़ा,
कि लाहूती के मोहब्बत के दिल का अफ़्साना मशहूर और मान्य है।
- पुस्तक : Surood-e-Haai-Aazadi-o-Sulah (पृष्ठ 321)
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