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यारम ब-वफ़ादारी जानानः-ए-मशहूरेस्त

अबुल क़ासिम लाहूती

यारम ब-वफ़ादारी जानानः-ए-मशहूरेस्त

अबुल क़ासिम लाहूती

MORE BYअबुल क़ासिम लाहूती

    यारम ब-वफ़ादारी जानानः-ए-मशहूरेस्त

    चूँ मंज़िल-ए-जान-ए-जाँ काशानः-ए-मशहूरेस्त

    मेरे दोस्त, तुम अपने प्रेमी की वफ़ादारी के लिए मशहूर हो,

    इसलिए कि महबूब की मंज़िल, मंज़िलों की मंज़िल के लिए मशहूर है।

    ख़ूनश चु गुज़श्त अज़ सर आयद ब-कफ़-ए-दिलबर

    दर बज़्म-ए-मोहब्बत दिल पैमानः-ए-मशहूरेस्त

    उसका ख़ून सिर से गुज़रता हुआ महबूब के हाथों तक आया है,

    इसलिए कि बज़्म-ए-मोहब्बत में दिल का पैमाना मशहूर है।

    जाँबाज़ी-ओ-सिद्क़-ओ-'अज़्म दर सीनः नुमूदः जम'

    चूँ दार-ए-फ़ुनून-ए-'इश्क़ दिल ख़ानः-ए-मशहूरेस्त

    बहादुरी, सच्चाई और इरादा सीने में जमा हैं,

    इसलिए कि मोहब्बत के फ़न की दुनिया में ख़ाना-ए-दिल प्रसिद्ध है।

    शोर अर ब-सरश उफ़्तद बरहम ज़नद 'आलम रा

    दस्तश न-ज़नीद ईं दिल दीवानः-ए-मशहूरेस्त

    उसके सिर में जो शोर पैदा हो रहा है, उससे दुनिया में हंगामा बरपा हो जाएगा,

    इस दिल को हाथ लगाना कि यह दिल दीवाना मशहूर है।

    दर मज्लिस अज़ आँ गोयन्द दर मकतब अज़ आँ ख़्वानंद

    'इश्क़ दिल-ए-'ला-हूती' अफ़्सानः-ए-मशहूरेस्त

    उसने मजलिस में कहा और दर्स-गाह में यही पढ़ा,

    कि लाहूती के मोहब्बत के दिल का अफ़्साना मशहूर और मान्य है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : Surood-e-Haai-Aazadi-o-Sulah (पृष्ठ 321)

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