Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

गुफ़्तार अंदर सुबूत-ए-इ’श्क़-ए-हक़ीक़ी ब-दलील-ए-मजाज़ी

सादी शीराज़ी

गुफ़्तार अंदर सुबूत-ए-इ’श्क़-ए-हक़ीक़ी ब-दलील-ए-मजाज़ी

सादी शीराज़ी

MORE BYसादी शीराज़ी

    तुरा इ'श्क़ हम-चूँ ख़ुदे ज़ाब-ओ-गिल

    रुबायद हमीं सब्र-ओ-आराम-ए-दिल

    सांसारिक प्रेम के उदाहरण देकर, सच्ची लगन का वर्णन

    ब-पिंदारियश फ़ित्न: बर ख़द्द-ओ-ख़ाल

    ब-ख़्वाब अंदरश पा-ए-बंद-ए-ख़याल

    जल और मिट्टी के संयोग से बने हुए, अपने ही समान मनुष्य का प्रेम व्याकुल कर देता है। जीवन की शान्ति और आनन्द दोनों विलुप्त हो जाते हैं।

    ब-सिद्क़श चुनाँ सर नेही बर क़दम

    कि बीनी जहाँ बावजूदश अ'दम

    जब तेरी प्रियतमा तेरी स्वर्ण मुद्राओं की तरफ़ आँख उठाकर देखती भी नहीं है तब तू सोने और मिट्टी को समान रूप से देख।

    चु दर चश्म-ए-शाहिद न-यायद ज़रत

    ज़र-ओ-ख़ाक यकसाँ नुमायद बरत

    फिर किसी दूसरे की तरफ़ तेरा हृदय आकर्षित हो और उसके स्थान पर किसी दूसरे का वास हो।

    वगर बा-कसत दर न-यायद नफ़स

    कि बा ब-मानद दिगर जाये कस

    उसके प्रणय में इस प्रकार रंग जा कि वह तेरी आँख में ही सर्वदा विद्यमान रहे और आँख मूँद लेने पर हृदय में दिखलाई दे।

    तु गोई ब-चश्म अंदरश मंज़िलस्त

    वगर चशम-ए-बर्हम नेही दर-दिलस्त

    तू सदैव उसके लिये व्यग्र रह और कभी भी उसके विरह की चिन्ता कर। कारण कि जब वह सर्वदा तुझी में है तब तुझसे पृथक किस प्रकार हो सकता है। उसके प्रेम में अपने को मतवाला बना डाल।

    अंदेशः अज़ कस कि रुस्वा शवी

    क़ुव्वत कि यक-दम शकेबा शवी

    यदि वह तेरे प्राण चाहता है तो हथेली पर रखकर उसके सामने कर दे। यदि वह तलवार तेरी गर्दन पर रखता है तो अपना सिर ही उसे दे डाल।

    गरत जाँ ब-ख़्वाहद ब-कफ़ बर नेही

    वरत तेग़ बर सर नेहद सर नेही

    जब वासनाओं से परिपूर्ण प्रेम में, प्रणयी की यह अवस्था हो जाती है तो उन प्रेमियों पर क्यों आश्चर्य होता है, जो ईश्वर से मिलने के लिये मतवाले हो रहे हैं।

    चु इ'श्क़े कि बुनियाद-ए-ऊ बर हवासत

    चुनीं फ़ित्नःअंगेज़-ओ-फ़रमांरवास्त

    जो सत्य की नदी में अपने आप को डुबा चुके हैं, ईश्वर की स्मृति में जान की भी चिन्ता छोड़ बैठे हैं।

    अ'जब दारी अज़ सालिकान-ए-तरीक़

    कि बाशंद दर बहर-ए-मअ'नी ग़रीक़

    और उसके लिये संसार से मुख मोड़ बैठे हैं। संसार के बन्धनों को तोड़ कर उसके लिये भाग निकले हैं।

    ब-सौदा-ए-जानाँ ज़े-जाँ मुश्तग़िल

    ब-ज़िक्र-ए-हबीब अज़ जहाँ मुश्तग़िल

    उसके प्रणय की मदिरा में इस प्रकार मस्त हो रहे हैं कि कुछ सूझता नहीं है।

    ब-याद-ए-हक़ज़ ख़ल्क़ ब-गुरेख़्तः

    चुनाँ मस्त साक़ी कि मी-रेख़्तः

    औषधि देकर उनके रोग को दूर करने की चेष्टा व्यर्थ है। उनकी पीड़ा को कोई नहीं समझता।

    न-शायद ब-दारू-दवा कर्द शाँ

    कि कस मुत्ला' नीस्त बर दर्द-ए-शाँ

    मृत्यु के समय ईश्वर ने उनसे पूछा, क्या मैं तुम्हारा पालन कर्ता नहीं हूँ? उन्होंने अपने उत्तर में इस प्रश्न की पुष्टि की।

    अलस्त अज़ अज़ल हम-चुनाँ शाँ ब-गोश

    ब-फ़रियाद-ए-क़ालू-बला दर ख़रोश

    एक प्रेमी किसी एक कोने में बैठा हुआ है। शरीर की सुध नहीं है। पैरों पर धूल जम रही है। और मुख से गर्म श्वासें निकल रही हैं।

    गिरोहे अ’मल-दार-ए-उज़्लत-नशीं

    क़दम-हा-ए-ख़ाके दम-ए-आतिशीं

    उसकी चिल्लाहट में वह शक्ति है कि पहाड़ को जड़ से उखाड़ दे और सारे देश को मिटा डाले।

    ब-यक ना'र: कोहे ज़े जा बर-कशंद

    ब-यक नालः मुल्के बहम बर कुनंद

    वह वायु के समान व्याप्त और शीघ्र गामी है। वह मुश्क के समान गुप्त तथा माला फेरने वाला है।

    चू बाद अन्द पिन्हाँ-ओ-चालाक पोए

    चू मुश्क अन्द ख़ामोश तस्बीह गोए

    प्रभात होते ही उसके नेत्रों से आँसुओं की वह धारा प्रवाहित होती है कि सुर्मा बिल्कुल धुल जाता है।

    सहर-हा ब-गिरयंद चंदाँ कि आब

    फ़िरो शोयद अज़ दीदः शाँ कुहल-ए-ख़्वाब

    अहर्निश उसकी स्मृति रूपी पीड़ा में अपने आपको जलाया करता है। उसकी याद में पागल बना रहता है।

    फ़रस गश्त: अज़ बस कि शब रांदः-अंद

    सहर-गह ख़रोशाँ कि वा मांदः-अंद

    यह भी ध्यान नहीं है कि कब दिन समाप्त होता है, रात कब आरम्भ होती है।

    शब-ओ-रोज़ दर बहर-ए-सौदा-ओ-सोज़

    न-दानंद ज़ाशुफ़्तगी शब ज़े-रोज़

    ईश्वर के मुखारविन्द ने कुछ ऐसा जादू डाला है कि उसे संसार के किसी अन्य मुख से किसी प्रकार का सम्बन्ध ही नहीं रह गया है।

    चुनाँ फ़ित्न: बर हुस्न-ए-सूरत-निगार

    कि बा हुस्न-ए-सूरत न-दारंद कार

    उसने अपने आप को सांसारिक प्रेम में नहीं डाल रक्खा है। यदि किसी ने अपने आपको मानवी प्रेम में फंसा दिया तो वह बहुत बड़ा मूर्ख तथा मन्द बुद्धि है।

    न-दादंद साहेब-दिलाँ दिल बे-पोस्त

    वगर अब्लही दाद बे-मग़्ज़-ओ-गोश्त

    ईश्वर के प्रेम में मग्न वास्तव में उसी को समझना चाहिये जिसने अपने अस्तित्व तथा संसार दोनों को भुला दिया हो।

    मय-ए-सर्फ़-ए-वह्दत कसे नोश कर्द

    कि दुनिया-ओ-उ’क़्बा फ़रामोश कर्द

    स्रोत :

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    Jashn-e-Rekhta | 13-14-15 December 2024 - Jawaharlal Nehru Stadium , Gate No. 1, New Delhi

    Get Tickets
    बोलिए