ख़ेज़ ऐ दिल ज़ीं बर अफ़्गन मरकब-ए-तहवील रा
ख़ेज़ ऐ दिल ज़ीं बर अफ़्गन मरकब-ए-तहवील रा
वक़्फ़ कुन बर ना-कसाँ आँ आ'लम-ए-तातील रा
ऐ दिल, उठ और अपने उद्यम में लग। बहाना छोड़ दे और बे-कारी को निरुद्यमी मनुष्यों के लिये छोड़ दे।
पाक दर अज़ ख़त्त-ए-मा'ना हर्फ़-ए-रंगारंग रा
महव कुन अज़ लौह-ए-दा'वा नक़्श-ए-क़ाल-व-क़ील रा
इन मौखिक बातों के द्वारा आध्यात्मिक शक्ति को प्राप्त करने का प्रयत्न मत कर। कारण कि “इसराफ़ील सरना में प्रविष्ट नहीं होते।
अंदरीं सफ़्हा-ए-मा'नी दुर्र-ए-मा'नी रा मजोए
ज़ाँ कि दर सुरना न-याबी नफ़्ख़-ए-इस्राफ़ील रा
हमारी बुद्धि इस बात को किस प्रकार मान सकती है कि भाड़े के मकान की छत का नाबदान नील नदी की बाढ़ को सहन कर सकता है।
के कुनद बर्दाश्त दरिया दर बयाबान-ए-ख़़िरद
नावदान-ए-बाम-ए-गुलख़न सैल-ए-रुद-ए-नील रा
फ़िदा के पर्वत पर इस्माइल का हाथ न काटने के लिये यदि कोई तलवार चला सकता है तो वह केवल इब्राहीम का हाथ है।
दस्त-ए-इब्राहीम बायद बर-सर-ए-कु-ए-वफ़ा
ता न-बुर्रद तेग़-ए-बुर्राँ हल्क़-ए-इस्माईल रा
ईश्वरीय मार्ग पर चलने के लिये मरयम के पुत्र ई’सा के समान मनुष्य की आवश्यकता है। क्योंकि उसे धर्म-ग्रन्थ इंजील के शब्दों का मूल्य मा’लूम रहता है।
मर्द चूँ ई'सा-ए-मरियम बायद अंदर राह-ए-सिद्क़
ता ब-दानद क़द्र-ए-हर्फ़-ओ-आयत-ए-इंजील रा
जिस मनुष्य को दिन के उजाले में हाथी न सूझता हो वह रात्रि के अन्धकार में मच्छड़ का मुख किस प्रकार देख सकता है?
दर शब-ए-तारी कुजा बीनद निशान-ए-पा-ए-मूर
आँ कि ऊ दर रोज़-ए-रौशन हम न-बीनद पील रा
यदि क़िंदील के अन्दर वाले दीपक में तेल न हो तो बाहर से उसमें तेल भरा होना तुझे रौशनी कब देगा।
अज़ बरूँ सू रौग़न-ए-तू सूद के दारद तुरा
चूँ दरूँ सू नूर न-बुवद ज़र्र:-ई क़िंदील रा
यदि तुझे उठना है तो इसी समय उठ और जो कुछ करना है कर ले, अन्यथा जिस समय यमदूत तेरे सिर पर मृत्यु की तलवार लेकर आ उपस्थित होगा, उस समय शोक के अतिरिक्त कुछ हाथ न आवेगा।
ख़ेज़-ओ-अकनूँ ख़ेज़ काँ साअ'त बसे हसरत ख़ुरी
चूँ ब-बीनी बर सर-ए-ख़ुद तेग़-ए-इज़्राईल रा
- पुस्तक : दीवान-ए-सनाई ग़ज़नवी (पृष्ठ 28)
- रचनाकार : हकीम सनाई
- प्रकाशन : इंतिशारात-ए-सनाई (1983)
- संस्करण : 7th
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