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आमद ख़याल-ए-ख़ुश कि मन अज़ गुलशन-ए-यार आमदम

रूमी

आमद ख़याल-ए-ख़ुश कि मन अज़ गुलशन-ए-यार आमदम

रूमी

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    आमद ख़याल-ए-ख़ुश कि मन अज़ गुलशन-ए-यार आमदम

    दर चश्म-ए-मस्त मन निगर कज़ कू-ए-ख़म्मार आमदम

    मैं महबूब के बाग़ से आया हूँ, मेरे दिल में अच्छा ख़याल रहा है

    मेरी मस्त-आँखों में देखो, मैं मय-फ़रोश की गली से आया हूँ

    सर्माया-ए-हस्ती मनम हम दायः-ए-हस्ती मनम

    बाला मनम पस्ती मनम चूँ चर्ख़-ए-दव्वार आमदम

    मैं हस्ती का सरमाया हूँ, मैं ही वुजूद का निगहबान हूँ

    मैं बुलंद हूँ, मैं पस्त हूँ, मैं आसमान की तरह गर्दिश कर रहा हूँ

    गुफ़्तम बिया शाद आमदी दादम ब-देह दाद आमदी

    गुफ़्ता ब-दीदी दाद-ए-मन अज़ बहर-ए-ईं कार आमदम

    मैंने कहा अच्छा हुआ गए, इंसाफ़ दे, तू इंसाफ़ देने आया है

    उस ने कहा कि तुम ने मेरा इंसाफ़ देखा है, मैं उसी काम के लिए आया हूँ

    हम-तू मह-ओ-महताब तू हम-गुलशन-ओ-हम-आब तू

    चन्दीं रह अज़ अश्ताब तू बे-कफ़्श-ओ-दस्तार आमदम

    लड़के तुम नेक-नाम हो लेकिन तुम अभी कच्चे हो

    तल्ख़ी मत करो क्यूँ कि मैं बड़े शौक़ से आया हूँ

    फ़र्ख़ुंदः नामी पिसर गरचे कि ख़ामी पिसर

    तल्ख़ी म-कुन ज़ीरा कि मन अज़ लुत्फ़-ए-बिसयार आमदम

    हँसते हुए आओ, तल्ख़ी को दूर करो अच्छी तल्ख़ी वाले

    मैं फूल बाँटता हूँ, भले ही सारे काँटे सब से पहले मुझे मिले

    ख़ंदाँ दर तल्ख़ी ब-कश शाबाश तल्ख़ी-ए-ख़ुश

    गुल-हा देहम गरचे कि मन अव्वल हम: ख़ार आमदम

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 510)

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