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Sufinama

पीर मनम जवाँ मनम तीर मनम कमाँ मनम

रूमी

पीर मनम जवाँ मनम तीर मनम कमाँ मनम

रूमी

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    पीर मनम जवाँ मनम तीर मनम कमाँ मनम

    दौलत-ए-जावेदाँ मनम मन मनम मन मनम

    मैं बूढ़ा हूँ, मैं जवान हूँ, मैं तीर हूँ, मैं कमान हूँ

    मैं अज़ली दौलत हूँ, मैं मैं नहीं हूँ, नहीं मैं मैं नहीं हूँ

    हस्ती-ए-मा चु पस्त शुद ख़ुर्दः शराब-ओ-मस्त शुद

    बाज़ दिलम ज़ दस्त शुद मन मनम मन मनम

    हमारा वुजूद पस्त हो गया, हम-शराब पी कर मदहोश हो गए

    मेरा दिल फिर हार गया, मैं मैं नहीं हूँ, मैं मैं नहीं हूँ

    बाग़-ओ-बहार-ए-ऊ मनम रौनक़-ए-कार-ए-ऊ मनम

    'आशिक़-ज़ार-ए-ऊ मनम मन मनम मन मनम

    मैं उस का बाग़ और बहार हूँ, मैं उस के कामों की रौनक़ हूँ

    मैं उस का ’आशिक़-ए-ज़ार हूँ, मैं मैं नहीं हूँ, मैं मैं नहीं हूँ

    सर्व-ए-मनस्त दर चमन-ए-रूह मनस्त दर बदन

    नुत्क़-ए-मनस्त दर दहन मन मनम मन मनम

    मेरा सर उस के बाग़ में है, मेरी रूह उस के बदन में है

    मेरी गोयाई उस के मुँह में है, मैं मैं नहीं हूँ, मैं मैं नहीं हूँ

    बुर्द मरा अज़ जान-ओ-दिल कर्द मरा चुनीं ख़जिल

    गुफ़्त म-गो ज़ आब-ओ-गिल मन मनम मन मनम

    उस ने मेरी जान और दिल ले लिया और मुझे बहुत शर्मिंदा कर दिया

    उस ने कहा कि मत कहो कि मैं पानी और मिट्टी से हूँ, मैं मैं नहीं हूँ, मैं मैं नहीं हूँ

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 516)

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