Font by Mehr Nastaliq Web
Sufinama

'इश्क़ पीरस्त मा मुरीदानेम

रूमी

'इश्क़ पीरस्त मा मुरीदानेम

रूमी

MORE BYरूमी

    'इश्क़ पीरस्त मा मुरीदानेम

    'इश्क़ ग़ारेस्त मा शहीदानेम

    ’इश्क़ पीर है, हम मुरीद हैं

    ’इश्क़ ग़ार है, हम शहीद हैं

    दिल-ए-मा गौहरस्त-ओ-तन सदफ़स्त

    दर सदफ़ आशकार-ओ-पिनहानेम

    हमारा दिल गौहर है और जिस्म सदफ़ है

    हम सदफ़ में छुपे हैं और नुमायाँ भी हैं

    ब-शिकनम आँ सदफ़ ब-संग-ए-यक़ीं

    गौहरश रा ब-संग बस्तानेम

    मैं उस सदफ़ को यक़ीन के पत्थर से तोडूँगा

    उस के मोती को पत्थर से तोड़ कर बाहर निकालूँगा

    बरसर-ए-आतिश-ए-मोहब्बत 'इश्क़

    हरचे ख़ामस्त पुख़्तः गर्दानेम

    ’इश्क़ की मोहब्बत की आग पर जो भी कच्चा है उसे पका हुआ बनाऊँगा

    कोई हमारे पंजा में नहीं आता यक़ीनन हम तबाही की जगह हैं

    कस ब-चंगाल-ए-मा नमी आयद

    ला-जरम कुंज-गाह-ए-वीरानेम

    ’इश्क़ के बाज़ार में हम अपना सर फ़रोख़्त कर देंगे

    हम सब अपना सर फ़रोख़्त करने वाले हैं

    सर ब-बाज़ार-ए-'इश्क़ ब-फ़रोशेम

    हमः सर पोश-ए-सरफ़रोशानेम

    ‘शम्स’ तबरेज़ हमारा मेहमान है

    उस के फ़िराक़ में हम जैसे हज़ारों हैं

    'शम्स' मेहमान-ए-मास्त दर तबरेज़

    दर फ़िराक़श हज़ार चंदानेम

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुल्लियात-ए-शम्स तबरेज़ी (पृष्ठ 577)

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY
    बोलिए