Ramsahay Das
Doha 10
गुलुफन लौं ज्यों त्यों गयो, करि करि साहस जोर।
फिर न फिरयो मुरवानि चपि, चित अति खात मरोर।।
- Add to favorites
-
Share this
पोखि चन्दचूड़हि अली, न खनहुं सूखन देइ।
खिनखिन खोटति नखनछद, न खनहुं सूखन देइ।।
- Add to favorites
-
Share this
मनरंजन तब नाम को, कहत निरंजन लोग।
जदपि अधर अंजन लगे, तदपि न नीदन जोग।।
- Add to favorites
-
Share this
ल्याई लाल निहारिये, यह सुकुमारि बिभाति।
कुचके उचके भात तें, लचकि लचकि कटि जाति।।
- Add to favorites
-
Share this
सखि संग जात हुती सुती, भट भेरो भो जानि।
सतरौंही भौंहन करी, बतरौंहीं अखियानि।।
- Add to favorites
-
Share this