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क़िस्सा काव्य
हीर वारिस शाह
313. कुड़ियां'रसम जग दी करो अतीत साईं', साडियां सूरतां वल ध्यान कीचै ।
वारिस शाह
अष्टपदी
अनहद शब्द अपार दूर सूँ दूर है
ध्यानी को मन लीन होय अनहद सुनैआप अनाहद होय बासना सब भुनै