आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "अहल-ए-दौलत"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "अहल-ए-दौलत"
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
मिसरा-ए-तरह- ‘अहल-ए-दौलत भी फ़क़ीराना बसर करते हैं’A.मुंशी मुहम्मद हसन
सुमन मिश्रा
शे'र
निकल कर ज़ुल्फ़ से पहुँचूँगा क्यूँकर मुसहफ़-ए-रुख़ परअकेला हूँ अँधेरी रात है और दूर मंज़िल है
अकबर वारसी मेरठी
ना'त-ओ-मनक़बत
दिल में दर्द-ए-शह-ए-कौनैन की दौलत है बड़ीहूँ तो नादार मैं लेकिन मिरी क़ीमत है बड़ी
मुनव्वर बदायूँनी
अन्य परिणाम "अहल-ए-दौलत"
ग़ज़ल
हम अहल-ए-इशक़ आसाँ इशक़ की मंज़िल समझते हैंना जब मुश्किल समझते थे ना अब मुश्किल समझते हैं
क़मर जलालवी
ना'त-ओ-मनक़बत
क़िब्ला-ए-अहल-ए-सफ़ा मालिक-ओ-मुख़्तार अ'लीऐ ज़हे सल्ले-अ'ला नाएब-ए-सरकार अ'ली
यादगार शाह वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
मत्मह-ए-अहल-ए-विला है सूरत-ए-तेग़-ए-अ’लीक़ाबिल-ए-मदह-ओ-सना है सीरत-ए-तेग़-ए-अ’ली
वासिफ़ रज़ा वासिफ़
ना'त-ओ-मनक़बत
'इश्क़-ए-नबवी क्या है कौनैन की दौलत हैये जिस को मयस्सर है वो साहेब-ए-क़िस्मत है