जानम ब-फ़िदा-ए-आँ कि ऊ अहल बूवद
जानम ब-फ़िदा-ए-आँ कि ऊ अहल बुवद
सर दर क़दमश अगर निहम सहल बुवद
ख़्वाही कि ब-दानी ब-यक़ीं दोज़ख़ रा
दोज़ख़ ब-जहाँ सोहबत-ए-ना-अहल बुवद
आदमी का इंसान होना और अपने महबूब पर फ़िदा होना शर्त है। उस पर मैं अपने आपको निछावर करने के लिये तय्यार हूँ। और उसके पाँव में पड़ा रहना आसान समझता हूँ। लेकिन अगर तुम दोज़ख़ की हक़ीक़त मा'लूम करना चाहते हो, तो समझ लो कि ख़ुदा के नाफ़रमान जाहिल आदमी का साथी ही दोज़ख़ है।
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