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ग़ज़ल
ज़ोर-ए-पैकाँ से उड़ा कर ले गया नख़चीर कोअब मैं अपने दिल को ढूँडूँ या तुम्हारे तीर को
बेनज़ीर शाह वारसी
ग़ज़ल
उड़ा कर ले गया 'अक्स-ए-रुख़-ए-साक़ी वहाँ मुझ कोमिला टूटा हुआ आईना-ए-हस्ती जहाँ मुझ को
नुशूर वाहिदी
ग़ज़ल
फ़क़ीर मोहम्मद गोया
दकनी सूफ़ी काव्य
वाह वाह बुलबुले गुलज़ार इश्क़
पस कहें या रब मुझे भी कुछ उड़ाकाँपता हू ठंड में मैं हुड़हुड़ा
वजदी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
उठा बगूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास।तिनका तिनका से मिला, तिन का तिन के पास।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
उठा बगूला प्रेम का, तिनका उड़ा अकास। तिनका तिनका से मिला, तिन का तिन के पास।
परशुराम चतुर्वेदी
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
"आहा! ख़ोजा नसरुद्दीन का सिर उड़ा देना कोई हंसी-ठट्टा नहीं है।"मैं ख़ोजा नसरुद्दीन मियां!
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
हज़रत महबूब-ए-इलाही ख़्वाजा निज़ामुद्दीन औलिया देहलवी के मज़ार-ए-मुक़द्दस पर एक दर्द-मंद दिल की अ’र्ज़ी-अ’ल्लामा इक़बाल
मैं तिरी दरगाह की जानिब जो निकला ले उड़ाआसमाँ तारे बना कर मेरी गर्द-ए-राह के
सूफ़ीनामा आर्काइव
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
मुझे ख़ाक में मिला कर मिरी ख़ाक भी उड़ा देतिरे नाम पर मिटा हूँ मुझे क्या ग़रज़ निशाँ से