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राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी तिताला - हमरे लला कैं सुरंग खिलौना खेलत कृष्ण कन्हैया
हमरे लला कैं सुरंग खिलौना खेलत कृष्ण कन्हैयाअगर-चंदन कौ पलनौ बन्यौ है हीरा-लाल-जवाहर जरैया
तानसेन
गीत
हाँ हाँ मोको न छेड़ कन्हैया हौ तो दिनन की थोरीब्रज में का इक हमहीं बसत हैं और बहुत हैं साँवर गोरी
शाह तुराब अली क़लंदर
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राग आधारित पद
कन्हैया नाहीं मोरे बस के
कन्हैया नाहीं मोरे बस केहम से जो बोलें झरद भरी बोलीं
मख़्दूम ख़ादिम सफ़ी
पद
ब्रजभाव के पद - कहाँ कहाँ जाऊँ तेरे साथ कन्हैया
कहाँ कहाँ जाऊँ तेरे साथ कन्हैयाबिन्द्रावन की कुंज गलिन में गहे मिलों मेरो हाथ
मीराबाई
कृष्ण भक्ति संत काव्य
मथुरा बासी कँवर कन्हैया मोहन प्यारे बंसी धारीजन्म के राजा सुंदर चहेला मोर कुशाईं शाम बिहारी
औघट शाह वारसी
राग आधारित पद
होली-पीलू- देखो देखो री होरी को खिलैया।
दई गारी मारी पिचकारी-चुनर फार डारी सारी कन्हैया।।
अज़मत
राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी, चौताल- अब ही डारि दै रे इडुरिंया
अब ही डारि दै रे इडुरिंया,कन्हैया मेरे पचरंग पाट की।
तान तरंग
सूफ़ी लेख
शाह तुराब अली क़लंदर और उनका काव्य
हाँ हाँ मो-का न छेड़ कन्हैयाहौं तो दिनन की थोड़ी
सुमन मिश्रा
दकनी सूफ़ी काव्य
पंडत करे जिकीर सुनो हिन्दु फकीर
पंडत करे तसलीमात हजरत भली नहीं बातनामदेव कहे मात किसन, नाथ, कन्हैया
गोंडा
सूफ़ी लेख
सूर के माखन-चोर- श्री राजेन्द्रसिंह गौड़, एम. ए.
इतना ही नही, बालकृष्ण को पकड़ कर उन्होने धमकाया---- कन्हैया! तू नहि मोहिं डरात।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
बेदम शाह वारसी और उनका कलाम
देवावासी कृष्ण कन्हैया , वारिस अवध के अवध बिहारीसीस उधर लट घूंघर वाली, काँधे सोहे कमली कारी
सुमन मिश्रा
सूफ़ी लेख
सूर का वात्सल्य-चित्रण, डॉक्टर सोम शेखर सोम
ऊँचे चढ़ि चढ़ि कहति जसोदा लै-लै नाम कन्हैया।दूरि कहूँ जिनि जाहु लला रे मारैगी काहू की गैया।।