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कवित्त
भक्तोद्गार- सुनो दिल जानी मेरे दिल की कहानी
देव पूजा ठानी मैं निवाज हूँ भुलानीतजे कलमा कुरान साड़ें गुनन गहूँगी मैं।।
ताज जी
पद
सुनो दिलजानी, मेरे दिल की कहानी तुम
देव पूजा ठानी हौं निवाज हूँ भुलानी तजे,कलमा कुरान सारे गुन न गहूँगी मैं ।
ताज
गूजरी सूफ़ी काव्य
नबीजी और काफ़िर
बाद कलमा की उंगली सूं केती रे निशाना,तब चन्द तो टूटा साची रे निशाना।
मौलाना पीर मशाएख़
दोहरा
सोहनी लुढ़ पई बहर ग़मां विच्च लुड़दी बुडदी वैंदी ।
ग़ोते खावे बांह उलारे आख़री विदा करेंदी ।यार फ़रीद महींवाल दा कलमा पढ़ जिन्दड़ी पई मुकेंदी ।
ख़्वाजा ग़ुलाम फ़रीद
काफी
मूंह आई बात ना रहन्दी ए
ऐसा बेटा जाइआ माई ए सभ कलमा उस दा कहन्दी ए ।मूंह आई बात ना रहन्दी ए ।
बुल्ले शाह
सूफ़ी लेख
गुजरात के सूफ़ी कवियों की हिन्दी-कविता - अम्बाशंकर नागर
कलमा शहादत मुख बसरो जिससे छूटे न ध्यान।दीन दुखी की नेमत पावो जो जन्नत राखो शान।
भारतीय साहित्य पत्रिका
शबद
इक नुकते विच गल्ल मुकदी ए।
पढ़ कलमा लोक हसाई दा, दिल अंदर समझ न लिआईदा ।कदी बात सच्ची वी लुकदी ए, इक नुकते विच गल्ल मुकदी ए ।
बुल्ले शाह
ना'त-ओ-मनक़बत
कोई ऐसा कलमा-ए-जाँफ़िज़ा कि है जैसा कलमा-ए-मुस्तफ़ान सहीफ़ा-ए-शब-ओ-रोज़ में न कतीबा-ए-मह-ओ-साल में
रईस अहमद नोमानी
क़िस्सा काव्य
हीर वारिस शाह
वारिस शाह जिन्हां केहा पाक कलमा, बेड़ी तिन्हां दी आकबत पार होई ।625. वाक कवी