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कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
फिर आया वाँ एक वक़्त ऐसा जो आये गर्भ में मन-मोहनगोपाल मनोहर मुरलीधर श्री-कृष्ण किशोरन कमल-नयन
नज़ीर अकबराबादी
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
मैं पापन सुन बाँसुरिया गई कृष्ण के पासबाँह गहे मन मोह लिया और कीन धर्म की नास
औघट शाह वारसी
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
मैं ही यशोदा मैं राधा तुझे कृष्ण कन्हैया बोलूँसुब्ह चूमे सूरज का माथा मैं तेरा मुख चूमूँ
साएमा ज़ैदी
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कृष्ण का अवतार ले कर तुर्क हो आया 'तुराब'मैं हुसैनी वास्ते और राम सीता वास्ते
तुराब अली दकनी
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
गोकुल की सी नागरि मथुरा का सा गाँवतुम हो मालिक बृज के कृष्ण तुम्हारा नाँव
मुज़्तर ख़ैराबादी
राग आधारित पद
रागिनी टोड़ी तिताला - हमरे लला कैं सुरंग खिलौना खेलत कृष्ण कन्हैया
हमरे लला कैं सुरंग खिलौना खेलत कृष्ण कन्हैयाअगर-चंदन कौ पलनौ बन्यौ है हीरा-लाल-जवाहर जरैया
तानसेन
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कृष्ण-कनहैया आन बिराजे मोरे मन के मंदिर मेंभगवन मोरे साथ है अब तो द्वार खुले हैं दर्पन के
अब्दुल हादी काविश
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
'औघट' रहो प्रेम के भगती जब तक घट में प्राणपूजा करो कृष्ण का और जमुना में अश्नान
औघट शाह वारसी
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
झूम के आईं काली घटाएँ 'काविश' चल मल्हारें गाएँनदी किनारे कृष्ण-कनहैया प्रेम की बंसी आज बजाए
अब्दुल हादी काविश
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कधी मोहतिया मोह न आवे 'औघट' कौने काजकुबरी ऐसी प्रीत करो कि मिलें कृष्ण-महराज
औघट शाह वारसी
सवैया
कृष्ण का अलौकिकत्व- सकर से सुर जाहि जपै चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावै।
सकर से सुर जाहि जपै चतुरानन ध्यानन धर्म बढ़ावै।नैक हिये जिहि आनत ही जड मूढ महा रसखानि कहावै।
रसखान
कृष्ण भक्ति सूफ़ी कलाम
कहियो मोरा संदेसा अरे गोकुल के जवय्यापहला संदेसा नगर सिन कहियो ओ दिन दूने बसय्या