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ना'त-ओ-मनक़बत
अहमद रज़ा ख़ान
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पद
श्री बृन्दावन मो अजयत ब्रिजराज बिराजत है
सुरमुनि गलित गुमान, अमृतराय प्रभुलीला देखे,अधर अंगुरिया देह थकित रहे सुसर किंनर,
अमृत राय
सलोक
अज्ञान- अठई पहर मरे, थो मूर्खु जीउ मनन मे।
काया माया कुल जो, गर्बु गुमान करे।सामी दिसी ठरे, मृघतृष्णा जे जल खे।।
सामी
कुंडलिया
बंदा बहुत न फूलिए, खुदा खियेगा नहिं।
मिरतलोक के माहिं, तज़ुरबा तुरत दिखावै।जो नर करै गुमान, सोई जग खन्ता खावै।
दीन दरवेश
कविता
बैठे हैं गुपाल लाल प्यारी बर बालन में,
ताही समय आती राधिका को दूरही तें देखि,सौतिन के सकल गुमान गुन जरिगे ।।
चंद्रकला बाई
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई की प्रतापचंद्रिका टीका - पुरोहित श्री हरिनारायण शर्म्मा, बी. ए.
मोरचंद्रिका स्याम सिर, चढि कत करत गुमान। लखवी पाइल पर लुठत, सुनियत राधा मान।।46।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
कविता
ऐहौ ब्रजराज कत बैठे हौ निकुंज माँहि,
रावरो गुमान अति बल अति भट मानि,जोबन को फौज लैके मारिबे को धाई है ।।
चंद्रकला बाई
कवित्त
बैठे है गुपाल लाल प्यारी बर बालन मे,
ताही समै आती राधिका को दूर ही तें देखि,सौतिन के सकल गुमान गुन जारिगे ।।
चंद्रकला
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
ओ बद-गुमान तू ही बता दे ज़रा मुझेदुनिया जहान कहती है सब आपका मुझे
सुमन मिश्रा
कलाम
दिल दिलीर करे अचु आशिक, सुस्त यकीन न थीउ तू।टोड़े शक गुमान सभेई, प्रेमी प्यालो पीउ तू।