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सूफ़ी कहानी
एक शैख़ी ख़ोरे का होंट और मूछों को चर्बी से चिकना करना- दफ़्तर-ए-सेउम
सच्चाई और जोश औलिया का शिआ'र है इस के मुक़ाबिल दग़ाबाज़ों की ढाल बे-शर्मी है। मख़्लूक़-ए-ख़ुदा
रूमी
व्यंग्य
मुल्ला नसरुद्दीन- दूसरी दास्तान
।। 7 ।।बाज़ार में जब ख़ूब चहल-पहल थी। ख़रीद- फ़रोख़्त का यह सबसे अहम वक़्त था।
लियोनिद सोलोवयेव
सूफ़ी लेख
बहादुर शाह और फूल वालों की सैर
ख़ुद मुहम्मद शाह ने तो बड़ी नहर के ऊपर बारहदरी का मंडवा बनवाया। शाह ‘आलमगीर सानी