आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "चीज़"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "चीज़"
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "चीज़"
बैत
जिस चीज़ को जहाँ में कहते हैं मय-कशी
जिस चीज़ को जहाँ में कहते हैं मय-कशीजानाँ की आँख से ही पीने का नाम है
सय्यद फ़ैज़ान वारसी
ना'त-ओ-मनक़बत
किस चीज़ की कमी है मौला तिरी गली मेंमौला तिरी गली में 'उक़्बा तिरी गली में
अमजद हैदराबादी
बैत
हमारे मय-कदे में ख़ैर से हर चीज़ रहती है
हमारे मय-कदे में ख़ैर से हर चीज़ रहती हैमगर इक तीस दिन के वास्ते रोज़े नहीं रहते
मुज़्तर ख़ैराबादी
ग़ज़ल
हर चीज़ में 'अक्स-ए-रुख़-ए-ज़ेबा नज़र आया'आलम मुझे सब जल्वा ही जल्वा नज़र आया
ख़्वाजा अज़ीज़ुल हसन मज्ज़ूब
कलाम
न किसी चीज़ में दिल उन का लगा मेरे बा'दयाद आती ही रही मेरी वफ़ा मेरे बा'द
मौलाना अ’ब्दुल क़दीर हसरत
गूजरी सूफ़ी काव्य
अंदर नहीं, बाहर नहीं, बल्कि पिया हर चीज़ है
अंदर नहीं बाहर नहीं बल्कि पिया हर चीज़ हैया बास जियूँ संदल मनें या जल्वा-ए-रुख़्सार ख़ुश