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ग़ज़ल
बहार आख़िर है पी ली बैठ कर ऐ शैख़ रिंदों मेंये महफ़िल फिर कहाँ होगी ये जल्सा फिर कहाँ होगा
क़मर जलालवी
ना'त-ओ-मनक़बत
रौज़ा पे ख़्वाजा जी के अल्लाह फिर दिखाएमज्मा' वो सूफ़ियों का जल्सा वो चिश्तियों का
तजम्मुल जलालपुरी
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कलाम
न वो जल्सा न वो सोहबत न वो यारों की महफ़िल हैमिरा ऐ'श-ए-गुज़श्ता आज अफ़्साने में शामिल है
मुबारक हुसैन मुबारक
सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-खैर : हज़रत शाह अय्यूब अब्दाली
मुफ़्ती नेपाल मौलाना अनीस आलम क़ादरी फ़िरदौसी ( दरभंगा), हज़रत शाह अहमद रज़ा ख़ाँ के शिक्षक
रय्यान अबुलउलाई
सूफ़ी लेख
बक़ा-ए-इंसानियत के सिलसिला में सूफ़िया का तरीक़ा-ए-कार- मौलाना जलालुद्दीन अ’ब्दुल मतीन फ़िरंगी महल्ली
हज़रत या’क़ूब अ’लैहिस्सलाम के 12 बारह बेटे थे।दस बेटे एक माँ से दो छोटे बेटे एक
मुनादी
सूफ़ी साहित्य
दूसरा बाब - मा'रिफ़त-ए-तासीर-ए-आ’लम और चौथा बाब:- रियाज़त और उस की कैफ़ियत
ज़िक्र-ए-भूरक:-जब सालिक यह चाहता है कि उस का बदन रूई की मानिंद हल्का हो तो चाहिए
ग़ौस ग्वालियरी
सूफ़ी साहित्य
मूनिस-उल-अर्वाह
वालिद-ए-माजिद की मीरास से आप को एक बाग़ और एक पन-चक्की पहुँची थी। आप उस के