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सूफ़ी कहावत
ख़िज़्र मिले जी ख़िज़्र मिले
ख़िज़्र मिले जी ख़िज़्र मिलेइच्छित वस्तु के मिल जाने पर।
वाचिक परंपरा
कलाम
सचल सरमस्त
दोहा
तू जाने करतार, जी मुझ साजन बे-पीरा।
तू जाने करतार, जी मुझ साजन बे-पीरा।सांई ही की सार, पांजर मां जोबन बसे।।
शेख़ अहमद खट्टू
सूफ़ी लेख
उदासी संत रैदास जी- श्रीयुत परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल-एल. बी.
संत रविदास अथवा रैदास जी कबीर साहब के समकालीन समझे जाते है और कहा जाता है
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
हज़रत मीराँ जी शम्सुल-उ’श्शाक़
उर्दू ज़बान की सर-परस्ती सब से ज़ियादा सूफ़िया ने की है।इसलिए कि उनका राब्ता अ’वाम और
निसार अहमद फ़ारूक़ी
दोहा
दिल में सदहा ख़्वाहिशें जी में लाख अरमान
दिल में सदहा ख़्वाहिशें जी में लाख अरमानदुनिया में सुख किस तरह पाए आज इंसान
तुफ़ैल हुश्यारपुरी
ना'त-ओ-मनक़बत
ख़्वाजा जी महाराजा जी तुम बड़ो ग़रीब नवाज़अपना कर के राखियो तोहे बाँह पकड़े की लाज