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दोहा
उपदेश गुरू भक्ति का - जौ वे बिछुरैं घड़ी भी तौ गंदा होइ जाय
जौ वे बिछुरैं घड़ी भी तौ गंदा होइ जाय'चरनदास' यौं कहत हैं गुरू को राखि रिझाय
चरनदास जी
साखी
जौ यह उसेक ह्वै रहै, तौ वह इसका होय।
जौ यह उसेक ह्वै रहै, तौ वह इसका होय।सुन्दर बातौं न मिलै, जब लग आप न खोय।।
सुंदरदास छोटे
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दोहा
रहिमन रहिबो वा भलो जौ लौं सील समूच
रहिमन रहिबो वा भलो जौ लौं सील समूचसील ढ़ील जब देखिए तुरत कीजिए कूच
रहीम
शबद
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठा
मरिहौ पंडित मरनौ मीठा जौ मरना श्री गोरख धीठामुए तेंजिउ जाय जहाँ जीवत ही लै रखौ तहाँ
अब्दुल क़ुद्दूस गंगोही
सतसई
।। बिहारी सतसई ।।
मीत न नीति गलीतु ह्वै जौ धरियै धनु जोरि।खाऐं खरचैं जौ जुरै तौ जोरियै करोरि।।481।।
बिहारी
सूफ़ी लेख
अबुलफजल का वध- श्री चंद्रबली पांडे
भाजै जात मरन जौ होय, मोसौ कहा कहै सब कोय। जौ भजिजै लरिजै गुन देखि, दुहूँ, भाँति मरिबोई लेखि।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
जायसी और प्रेमतत्व पंडित परशुराम चतुर्वेदी, एम. ए., एल्.-एल्. बी.
निकसै घिउ न बिना दुधि मथे। जौ लहि आप हेराइ न कोई।
हिंदुस्तानी पत्रिका
कुंडलिया
पैहौ कीरति जगत में, पीछे घरो न पांव।
बरनै दीनदयाल, हरखि जौ तेग चलैहो।ह्वैहौ जीते जसी, मरे सुरलोकहि पैहो।।
दीनदयाल गिरि
सूफ़ी लेख
पदमावत में अर्थ की दृष्टि से विचारणीय कुछ स्थल - डॉ. माता प्रसाद गुप्त
(51) 125.5 जौ पै नाहीं अस्थिर दसा। जग उजार का कीजै बसा।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सुकवि उजियारे - पंडित मयाशंकर याक्षिक
जौ पै कहूँ दैहै तो भुजंग अंग भरेगी। भस्म लगाय आग आँख पजराय,
हिंदुस्तानी पत्रिका
सूफ़ी लेख
सूफ़ी काव्य में भाव ध्वनि- डॉ. रामकुमारी मिश्र
कैसेहुं नवहिं न माएं, जोबन गरब उठान। जौ पहिले कर लावै, सो पाछे रति मान।।
सम्मेलन पत्रिका
सूफ़ी लेख
बिहारी-सतसई-संबंधी साहित्य (बाबू जगन्नाथदास रत्नाकर, बी. ए., काशी)
जौ भाषा जान्यौ चहत रसमय सरल सुभाइ। कबिता केसौराय की तौ साँचौ चितु लाइ।।29।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
सूफ़ी लेख
महाकवि सूरदासजी- श्रीयुत पंडित रामचंद्र शुक्ल, काशी।
(ख) सखी री! श्याम कहा हित जानै। सूरदास सर्बस जौ दीजै कारो कृतहि न मानै।।“
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
साखी
सुन्दर बंधै देह सौं, तौ यह देह निषिद्ध ।
सुन्दर बंधै देह सौं, तौ यह देह निषिद्ध ।जौ याकी ममता तजै, तौ याही में सिद्धि।।
सुंदरदास छोटे
कवित्त
छल बल करि थाक्यो अनेक गजराज भारी
हाथी के उरमांहि आधो हरि नाम सोहगरे जौ न आयो गरुणेश तौ लो आ गयो।।
कारे ख़ान फ़क़ीर
सूफ़ी लेख
पदमावत के कुछ विशेष स्थल- श्री वासुदेवशरण
जाकर जीउ बसै जेहि सेतें तेहि पुनि ताकरि टेक।कनक सोहाग न बिछुरै अवटि मिलैं जौ एक।।