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कवित्त
भक्तोद्गार- सुनो दिल जानी मेरे दिल की कहानी
देव पूजा ठानी मैं निवाज हूँ भुलानीतजे कलमा कुरान साड़ें गुनन गहूँगी मैं।।
ताज जी
पद
सुनो दिलजानी, मेरे दिल की कहानी तुम
देव पूजा ठानी हौं निवाज हूँ भुलानी तजे,कलमा कुरान सारे गुन न गहूँगी मैं ।
ताज
राग आधारित पद
टोड़ी तिताला- प्रबोध -कौन भ्रम भूल्यौ रे मन अज्ञानी
जे साधू गुनी भये, तिनकौं न गुन की मति ठानी।'विलास' के प्रभु कै जु भलौ चाहत,
विलास ख़ान
सवैया
नाम तिहारो सुनौ जग में तुम गोकुल के ठग ही हम जानी।
नाम तिहारो सुनौ जग में तुम गोकुल के ठग ही हम जानी।साल सहौ अपने कन में चित चोर घने सों जोरी हम ठानी।।
ताज जी
पद
ककहरा - कक्का कहुँ परथम गुरू साध आद सब संत बखानी
अंड नहीं ब्रह्मंड पिंड नहिं रचना ठानीअरे हाँ रे 'तुलसी' हता नहीं बैराट कहीं चोरासी खानी
तुलसी साहिब हाथरस वाले
ग़ज़ल
ठानी है यहाँ मुग़्बचों ने आज ये दिल मेंवाइ'ज़ जो मिले उस के अ'मामा को उतारो
शाह नियाज़ अहमद बरेलवी
शबद
सखी मेरी नींद नसानी हो
सखियन मिल के सीख दई मन एक न मानी होबिन देखे कल ना परे जिय ऐसी ठानी हो
मीराबाई
ना'त-ओ-मनक़बत
ये ठानी है कि जब तक दामन-ए-मक़्सद न भर जाएनहीं छोड़ूँगा मैं रौज़े की जाली या रसूल-अल्लाह