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सूफ़ी लेख
कदर पिया- श्री गोपालचंद्र सिंह, एम. ए., एल. एल. बी., विशारद
तंग गली अधियारा कोना सभी अकेले जाते हैं। यहाँ था दारा यहाँ सिकंदर सोते हैं सब भवन के अंदर।।
नागरी प्रचारिणी पत्रिका
फ़ारसी कलाम
दारम दिले चूँ ग़ुंच: तंग अज़ इश्क़-ए-जानाँ दर बग़लमजरूह-ओ-ग़र्क़-ए-बह्र-ए-ख़ूँ अज़ ज़ख़्म-ए-पैकाँ दर बग़ल
शाह शुजा
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ना'त-ओ-मनक़बत
किस चीज़ की कमी है मौला तिरी गली मेंमौला तिरी गली में 'उक़्बा तिरी गली में
अमजद हैदराबादी
ना'त-ओ-मनक़बत
सुन ऐ री सखी चल राज़ गली यसरिब का बसय्या आया हैनगरी-नगरी एक धूम मची यसरिब का बसय्या आया है
नसीर नियाज़ी
ना'त-ओ-मनक़बत
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बेदम शाह वारसी
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बस-कि हूँ दिल-तंग ख़ुश आता है सहरा-ए-क़फ़सबुलबुल-ए-बे-बाल-ओ-पर रखती है सौदा-ए-क़फ़स