सुन ऐ री सखी चल राज़ गली यसरिब का बसय्या आया है
सुन ऐ री सखी चल राज़ गली यसरिब का बसय्या आया है
नगरी-नगरी एक धूम मची यसरिब का बसय्या आया है
हर सू है क़ुतुब अब्दाल खड़े कहते है ये सब चुपके-चुपके
चलिया ने कैसी चाल चली यसरिब का बसिया आया है
मख़मूर हुआ मद्दधम-मद्दधम क्या झूम के उट्ठा अब्र-ए-करम
हर चार तरफ़ रहमत बरसी यसरिब के बसय्या आया है
कलियाँ हँस हँस कर खिलने लगीं शाख़ों से शाख़ें मिलने लगीं
फूलों से चमन ने माँग भरी यसरिब का बसय्या आया है
तूफ़ान-ए-मोहब्बत जोश में है दीवाना 'नसीर' अब होश में है
'उश्शाक़ की बिगड़ी बात बनी यसरिब का बसय्या आया हे
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