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बैत
अगर ख़ुफ़िया दह दिल ब-दस्त आवरी
अगर ख़ुफ़िया दह दिल ब-दस्त आवरीअज़ाँ बह कि सद रह शबीख़ूँ बरी
सादी शीराज़ी
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सूफ़ी लेख
ज़िक्र-ए-ख़ैर : हज़रत सय्यदना अमीर अबुल उला
इलाही शेवः-ए-मर्दांगी दहज़ना मर्दाँ दीन-ए-बेगांगी दह
रय्यान अबुलउलाई
सलोक
माया- माया मचायो, भारी भेषु भर्म जो।
माया मचायो, भारी भेषु भर्म जो।तहि मे मोहे सभखे, दह दिस दौरायो।
सामी
सलोक
अज्ञान- अणहून्दे भोले, विधो जीउ भर्म मे।
अणहून्दे भोले, विधो जीउ भर्म मे।पुठी देई पाण खे, थो दह दसॉ फोले।
सामी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
जनम लगे जीवन मन पीवइ, निर्मल दह दिसि भरिया।।विरह अगिनि मैं जरि गये, मन के मैल विकार।
हिंदुस्तानी पत्रिका
छप्पय
पूत कलित परिवार, माल वहौ मुलक वड़ाई।
हरि सुमरिण हिरदै नहीं, दह दिसि माया घेर।जन हरीदास यूँ जांणिये, यहु तिल सुख दुख अस मेर।।
महाराज हरिदास
पद
हरिजी के चरणन की बलिहारी?
कर्मादिक वन पाप जाय जरि, ब्रह्म अग्नि पर जारी।।तारया अधम पाप परचंड दह, लिये पापी पतित उधारी।
महात्मा नरीदास जी
सूफ़ी लेख
संत साहित्य
जनम लगे जीवन मन पीवइ, निर्मल दह दिसि भरिया।। विरह अगिनि मैं जरि गये, मन के मैल विकार।
परशुराम चतुर्वेदी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ईं-जास्त रिबा ब-निगर जानी दह-ओ-सद बिस्ताँगुर्गी-ओ-सगी कम कुन ता-मेहर-ए-शबाँ बीनी
रूमी
सूफ़ी लेख
हज़रत शैख़ फ़ख़्रुद्दीन इ’राक़ी रहमतुल्लाह अ’लैह
बद-अ’हदी-ए-उ’म्र बीं कि गुल दर दह रोज़सर बर ज़द-ओ-ग़ुंचः कर्द-ओ-ब-शगुफ़्त-ओ-बरेख़्त
सूफ़ीनामा आर्काइव
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
ऐ रीश ख़ंद्-ए-रख़्ना जा या’नी मनम सालार-ए-दहता की जही गर्दन बना वर नै कशंदत चूँ कमाँ
रूमी
फ़ारसी सूफ़ी काव्य
वर्नः ब-गुरेज़ी अज़ ईन-हा बाज़ दारंदत ब-क़हरईं दह-ओ-ना दर जहन्नम वाँ दह-ओ-दो दर असीर