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कवित्त
जसुदा दुहाई तोरि भाखहुँ न राई झूंठ
जसुदा दुहाई तोरि भाखहुँ न राई झूंठकरत कन्हाई अबू दूंद निशि दिन है।
सय्यद छेदाशाह
ना'त-ओ-मनक़बत
हर इक मुश्किल में काम आई दुहाई मेरे मौला कीअ'जब कुछ ढब की है मुश्किल-कुशाई मेरे मौला की
कामिल शत्तारी
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सूफ़ी लेख
संत साहित्य - श्री परशुराम चतुर्वेदी
ना कछु आइबों ना कछु जाइबो,राम की दुहाई।।2।।
हिंदुस्तानी पत्रिका
राग आधारित पद
ठुमरी खम्माच- बहियां न पकरो मोरी मुरकि कलाई रे।
अरज गरज मोरी एको न मानी।हैदर पिया की मैं देत दुहाई रे।।
हैदर
छप्पय
पूत कलित परिवार, माल वहौ मुलक वड़ाई।
वहौ सूँगौ वहु पान, सेझ खासा दरयाई।कर धरि मूँछ मरोड़, कहै मेरीज दुहाई।।
महाराज हरिदास
कविता
कुसुम समूह खिच विटप लतान माँहि,
'चद्रकला' चारों ओर भँवर नकीब फिरैंआली देखइ देत ये दुहाई रति-कंत की ।
चंद्रकला बाई
पद
रणखांम गढा अस्मान बराबर, ध्वजाउंच
तमाम सारा, भागे लोक कुल लंक लुटाई,निशाण चढाया दुहाई फिरे रामराजा ।।देखो रे0।।
अमृत राय
सूफ़ी लेख
आज रंग है !
उन्हीं की चारों तरफ़ हिन्द में दुहाई हैस्रोत : पुस्तक : जज़्बात-ए-अकबर (पृष्ठ 365)
सुमन मिश्रा
कुंडलिया
मिला मिली की रीति जो चलन लगी इहिं बाग ।
जो प्रसंग जिहिं जाग तिहीं बानिक गति गहिए ।अलि मनोज वर फिरत, दुहाई देत सुलहिए ।।
छत्रकुंवरि बाई
सूफ़ी लेख
उर्स के दौरान होने वाले तरही मुशायरे की एक झलक
ऐ फ़रिश्तो सोच कर मद्दाह से करना सवालवर्ना मैं दूँगा दुहाई अहमद-ए-मुख़्तार की
सुमन मिश्रा
पद
साधना की सफलता- देव री सखी मोहिं उमंग बधाई। अब मेरे आनंद उर न समाई।।
राधास्वामी कहत बनाई। चार लोक में फिरी है दुहाई।।सत्तनाम धुन बीन बजाई । काल बाली अति मुरछा खाई ।।
शिवदयाल सिंह
काफी
मेरे क्युं चिर लाइआ माही
चढ़ के पीर खेड़िआं दा आया, उस ने केहा शोर मचाइआ,मैनूं माही नज़र ना आया, तांहीएं कीती हाल दुहाई ।